हटाए जा रहे हैं जर्मनी के आखिरी फोन बूथ
दशकों तक जर्मनी के कोने-कोने में पीले रंग के फोन बूथों को देखा जा सकता था, जिनका रंग बाद में गुलाबी कर दिया गया था. लेकिन अब मोबाइल फोन के युग में फोन बूथ की किसी को जरूरत नहीं है. आखिरी बचे बूथ भी अब हटाए जा रहे हैं.
पहले थे "टेलीफोन कीओस्क"
जर्मनी के टेलीफोन बूथों का लंबा इतिहास है. 1881 में बर्लिन में सबसे पहले एक "टेलीफोन कीओस्क" बनाया गया था. यह तस्वीर 1927 में बर्लिन स्थित ऐसे ही एक कीओस्क की है. इनकी मांग बहुत बढ़ जाने के बाद इन्हें शहर में जगह जगह लगा दिया गया. 1946 से इन्हें तत्कालीन फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी (पश्चिमी जर्मनी) के पूरे इलाके में पीले रंग में रंगना शुरू कर दिया गया, ताकि पूरे देश में वो एक से दिखें.
एक युग का अंत
1990 के दशकों तक फोन बूथ हर जगह दिखाई देने लगे थे. पूरे देश में 1,60,000 से भी ज्यादा बूथ लगा दिए गए थे. इनमें मोटी-मोटी टेलीफोन डायरेक्टरियां भी रखी रहती थीं. इन बूथों को पहले बुंडेसपोस्ट विभाग चलाता था और बाद में इन्हें डॉयचे टेलीकॉम विभाग संभालने लगा. एक ऐसा वक्त भी था जब लोग इनका खूब इस्तेमाल करते थे और इनके बाहर लंबी कतारें लग जाया करती थीं.
पूर्वी जर्मनी में बेहद जरूरी
तत्कालीन पूर्वी जर्मनी या जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में भी अधिकांश फोन बूथ पीले रंग के ही थे. यह तस्वीर 1991 में जर्मनी के दोनों हिस्सों के एक हो जाने के बाद की है और इसमें दो फोन बूथ देखे जा सकते हैं. दीवार के गिरने से पहले कई परिवारों के लिए फोन बूथ बेहद जरूरी थे क्योंकि उनके पास अपने लैंडलाइन फोन नहीं थे.
अब जरूरत नहीं
नवंबर 2022 में इन फोनों में सिक्के डालने की सुविधा बंद कर दी गई और जनवरी 2023 के बाद से डॉयचे टेलीकॉम फोन कार्ड के इस्तेमाल के विकल्प को भी बंद कर देगा. ऐसा कुछ सालों पहले हुआ होता तो संभव है इसके खिलाफ नाराज लोग प्रदर्शन करने लगते लेकिन मोबाइल संचार के इस युग में इससे किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ा है.
एक बीते युग के अवशेष
जर्मन कस्बों और नगरपालिकाओं के संघ का कहना है, "जब लगभग हर किसी की जेब में मोबाइल फोन है, ऐसे में एक महंगे सार्वजनिक ढांचे का रखरखाव करने का कोई मतलब नहीं बनता है." और ऐसा लगता है कि संघ ठीक ही कह रहा है. डॉयचे टेलीकॉम के मुताबिक इस फोन बूथ की तरह बहुत सारे बूथ ज्यादातर सुनसान ही पड़े रहते हैं.
किताबों के लिए नया घर
कुछ बूथों को किताबघरों की शक्ल में तब्दील कर दिया गया है, जैसे ये वाला. लाउटर-बर्न्सबाक शहर के महापौर चाहते थे कि शहर के आखिरी फोन बूथ को किसी तरह संभाल कर रखा जाए, तो उसे किताबघर बना दिया गया. शहर के लोगों को यह पसंद आया है.
कुछ बेकार तो कुछ टूटे हुए
सभी टेलीफोन बूथों की किस्मत में यह नहीं था. जैसे की मैजेंटा रंग के रिसीवर वाला यह टूटा हुआ बूथ. पिछले साल लगभग हर तीसरे सार्वजनिक टेलीफोन से एक यूरो की भी कमाई नहीं हुई. उल्टा तोड़फोड़ और आंशिक रूप से पुरानी हो चुकी तकनीक की वजह से इनके रखरखाव का खर्च बढ़ गया.
फोन बूथों का कब्रिस्तान
शुरू में डॉयचे टेलीकॉम को हटाए जा चुके फोन बूथों को तोड़ने की भी इजाजत नहीं थी, क्योंकि सार्वजनिक टेलीफोन उसके सांविधिक मूल सेवा दायित्व का हिस्सा हैं. 2021 के अंत में यह नियम बदल दिया गया और अब अनगिनत टेलीफोन बूथ बूथों के कब्रिस्तान में पहुंचाए जा रहे हैं. यह ब्रांडेनबुर्ग राज्य के मिशेनडोर्फ शहर में ऐसी ही एक जगह है, जहां वो गुलाबी बूथ नजर आ रहे हैं जिन्होंने बाद में पीले बूथों की जगह ले ली थी.
जगह वही, तकनीक नई
डॉयचे टेलीकॉम के मुताबिक 2018 से लगभग सभी पारंपरिक टेलीफोन बूथ हटा दिए गए हैं और सिर्फ 12,000 टेलीफोन कीओस्क बचे हैं. इन्हें 2025 तक हटा दिया जाएगा. उसके बाद डॉयचे टेलीकॉम इस जगह को ऐसे छोटे एरियल लगाने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है जो मोबाइल सिग्नलों को और बढ़ाते हैं और नेटवर्क को मजबूती देते हैं.