यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी यूरोप ने रूस के साथ अपनी सीमाएं बंद कर दीं. यूं तो नॉर्वे ने भी रूस से सटा अपना बॉर्डर सील किया है, लेकिन एक छोटी सी बस है जो अब भी सीमा पार रूस जाती है. वो भी हर दिन, एक तय समय पर. आखिरकार युद्ध और अविश्वास के इस माहौल में यह बस अब भी एक अपवाद कैसे बनी हुई है? और क्यों लोग जोखिम उठाकर भी इस बस में सफर करते हैं?