ये हैं जर्मन वाइन क्वीन
जर्मनी में वाइन क्वीन होती हैं. वाइन वाले हर इलाके में एक लड़की को वाइन क्वीन चुना जाता है. पहली बार किसी रिफ्यूजी कन्या को यह तमगा मिला है. इस मौके पर मिल लेते हैं जर्मनी की पुरानी वाइन क्वीन्स से...
निनोर्ता बानो
निनोर्ता बानो 26 साल की हैं. वह तीन साल पहले सीरिया से भागकर आई थीं. जर्मनी के ट्रियर इलाके में रह रही हैं. इस साल उन्हें वाइन क्वीन चुना गया है.
पहली क्वीन
वाइन क्वीन चुनने की यह परंपरा 1931 में प्लैटिनेट में शुरू हुई. तब सालाना वाइन फेस्टिवल में रूथ बार्षोट पहली वाइन क्वीन बनीं. लेकिन 1950 तक और किसी इलाके ने इसमें हिस्सा नहीं लिया.
नाजी राज की क्वीन
गुसुटेल हाउप्टमन 1937 की वाइन क्वीन थीं. तब जर्मनी में नाजी राज था और दुनिया विश्व युद्ध के कगार पर थी. तब यह चुनने का काम बस एक फोटोग्राफर ने ही कर दिया था.
सबकी अपनी अपनी क्वीन
1950 के बाद सब इलाके अपनी-अपनी वाइन क्वीन चुनने लगे. उस साल वुर्टेमबेर्ग इलाके में मार्था क्नोबलोख (बाएं) जीती थीं. उनके साथ दाएं 2013 की वाइन क्वीन टेरेसा ओल्कुस हैं.
क्या करती है वाइन क्वीन
1968 की इस तस्वीर में जर्मन वाइन क्वीन रूथ कॉलेट पियानोवादक लियोनार्ड बेर्नश्टाइन का स्वागत कर रही हैं. वाइन क्वीन जर्मनी वाइन की राजदूत जैसी होती हैं जो अपने इलाके की वाइन का प्रचार करती हैं.
वाइन और बियर
पलैटिनेट इलाके की 1972 की क्वीन हेल्गा वेबर (बाएं) म्यूनिख के अक्टूबर फेस्ट में बियर का प्रचार कर रही हैं. जर्मन वाइन क्वीन का चुनाव हर साल पलैटिनेट इलाके के नॉयश्टाट अन डेय वाइनश्ट्रासे में होता है.
दंड से गिलास तक
विभिन्न दशकों में वाइन क्वीन की ट्रॉफी बदलती चली गई है. 1966 तक उन्हें दंड दिया जाता था लेकिन उसके बाद गिलास देने की परंपरा शुरू हुई. हालांकि ताज हमेशा बना रहा.
नई जर्मनी की क्वीन
1990 में बिरगिट शेहल संयुक्त जर्मनी की क्वीन बनीं. उसी साल पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हुए थे. 1981 तक तो क्वीन्स को पारंपरिक कपड़े ही पहनने होते थे. बाद में इसमें ढील दी गई.
80 लोगों की जूरी
कभी एक फोटोग्राफर को बोल दिया जाता था कि एक सुंदर लड़की खोजकर लाओ. अब वाइन क्वीन चुनने के लिए 80 लोगों की जूरी बैठती है. ये 2011 की प्रतिभागी हैं.
क्वीन बन गई नेता
यूलिया क्लोकनर अपने राज्य राइनलैंड पलैटिनेट में सीडीयू पार्टी की अध्यक्ष हैं. माना जाता है कि वह मौजूदा चांसलर अंगेला मैर्केल की उत्तराधिकारी हैं. वह वाइन क्वीन भी रह चुकी हैं. 1995 में उन्होंने खिताब जीता था.
इरॉटिक ऑस्ट्रिया
जर्मनी का वाइन उद्योग अभी इरॉटिसिज्म से दूर है. लेकिन पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया में ऐसा नहीं है. वहां वाइन गर्ल्स का कैलेंडर भी बनता है. ये वाइन क्वीन नहीं हैं लेकिन मामला वैसा ही कुछ है.
नया ताज
2015 में वाइन क्वीन के ताज का डिजायन बदल गया. 2014 की वाइन क्वीन यानिना हून ने पुराना ताज लिया था और 2015 वाली क्वीन को उन्होंने नया ताज पहनाया.
2015 की क्वीन
बाडने की रहने वालीं योसेफिन श्लुमबेर्गर 2015 की वाइन क्वीन थीं. 30 सितंबर 2016 को वह नई क्वीन को ताज पहनाएंगी.