यूएन: भय का माहौल पैदा कर रही तालिबान की नैतिक पुलिस
११ जुलाई २०२४संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि आदेश और उन्हें लागू करने के लिए अपनाए गए कुछ तरीके मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हैं. तालिबान ने 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद "सद्गुण के प्रचार और बुराई की रोकथाम" के लिए एक मंत्रालय की स्थापना की थी.
इस मंत्रालय पर अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, यह मंत्रालय मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के विनाश के लिए जिम्मेदार है, जो विशेष रूप से महिलाओं के साथ भेदभाव और अनुचित व्यवहार को निशाना बनाता है.
सत्ता संभालने के बाद से तालिबान ने लड़कियों और युवा महिलाओं को शिक्षा हासिल करने से भी रोक दिया है, जबकि महिलाओं को सरकारी नौकरियों से दूर कर दिया.
रिपोर्ट क्या कहती है?
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की रिपोर्ट में कहा गया है, "निर्देशों और आदेशों का पालन न करने पर दी जाने वाली सजाएं अक्सर मनमानी, कठोर और असंगत होती हैं." रिपोर्ट में आगे कहा गया, "महिलाओं पर भेदभावपूर्ण प्रभाव डालने वाले व्यापक प्रतिबंध लगाए गए हैं. मानवाधिकारों का उल्लंघन, साथ ही प्रवर्तन उपायों की अनिश्चितता, आबादी के एक हिस्से में भय और धमकी का माहौल पैदा करती है."
मिशन ने कहा कि उसने अगस्त 2021 और मार्च 2024 के बीच कम से कम 1,033 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है, जहां मंत्रालय के कर्मचारियों ने आदेशों के पालन के दौरान बल का प्रयोग किया, जिसके नतीजतन किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और शारीरिक व मानसिक आजादी का उल्लंघन हुआ.
खत्म हुई महिलाओं की आजादी
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मंत्रालय इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या लागू करता है जो महिलाओं और लड़कियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर नकेल कसते हुए स्वतंत्र प्रेस और नागरिक समाज को दबाता है.
नैतिक पुलिस बलों के पास उन नागरिकों को फटकारने, गिरफ्तार करने और दंडित करने की शक्ति है जो पश्चिमी शैली के हेयर स्टाइल और बैन किए संगीत समेत सभी "गैर-इस्लामी" गतिविधियों में शामिल हैं.
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक अफगान तालिबान के मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और दावा किया है कि उसके आदेश "समाज के सुधार" के लिए जारी किए गए थे और उनका "कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए."
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट "अफगानिस्तान को पश्चिमी दृष्टिकोण से आंकने की कोशिश कर रही है, जबकि यह एक इस्लामी समाज है."
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की ओर से मानवाधिकार प्रतिनिधि फियोना फ्रेजर ने कहा, "रिपोर्ट में रेखांकित कई मुद्दों को देखते हुए, वास्तविक अधिकारियों द्वारा यह स्थिति उजागर की गई कि यह निगरानी बढ़ती जाएगी और विस्तारित होती जाएगी. सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के लिए गंभीर चिंता का कारण है."
एए/वीके (एपी, एएफपी)