यूरोप की 2023 की सांस्कृतिक राजधानियां
यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी का चुनाव कुछ-कुछ ओलंपिक के आयोजन के अधिकार जैसा है. इसके लिए यूरोपीय शहरों में होड़ लगी होती है. 2023 में तीन तीन शहरों को ये खिताब मिला है.
सांस्कृतिक राजधानी का तमगा क्यों
ये टाइटल यूरोपीय संघ सदस्य देशों में किसी शहर को देता है. हर साल कम से कम एक शहर या इलाके को इस सम्मान के लिए चुना जाता है. इस कवायद का मकसद है यूरोपीय में बहुलता और साझा संस्कृति को बढ़ावा देना और सदस्य देश की संस्कृति से दूसरे देशों को परिचित कराना. इस मौके पर होने वाले सांस्कृतिक आयोजन शहर को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं.
पर्यटन उद्योग के लिए कारगर
चुने गए शहर साल भर अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने शहर या देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते हैं. 2023 में रोमानिया के तिमिसोआरा, हंगरी के वेशप्रेम और ग्रीस के एलेफसीना को यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी चुना गया है. ये तीन ऐसे शहर हैं, जो बहुत विख्यात नहीं हैं. इस खिताब के साथ वे पर्यटकों को आकर्षित करना चाहते हैं.
तिमिसोआरा यानि छोटा वियना
तीन लाख आबादी वाला तिमिसोआरा रोमानिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. 1000 साल पुराना ये शहर रोमानिया, हंगरी और सर्बिया की सीमा पर स्थित है. अपने 15,000 ऐतिहासिक इमारतों के साथ तिमिसोआरा देखने में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना की याद दिलाता है. इसलिए ये छोटा वियना भी कहलाता है. कभी यह शहर ऑस्ट्रो हंगेरियन राजशाही का हिस्सा हुआ करता था.
सांस्कृतिक विविधता पर जोर
यह शहर इसलिए भी जाना जाता है कि यहीं पर 1989 में देश के तानाशाह निकोला चौचेस्कू के खिलाफ क्रांति की शुरुआत हुई थी. शहर का बदलता इतिहास इसकी बहुजातीय आबादी में भी झलकता है. सांस्कृतिक राजधानी के रूप में उसका जोर विविधता पर है. अपने इतिहास के सहारे यह दिखाना चाहता है कि अलग-अलग जातियों का साथ रहना मुमकिन है.
तिमिसोआरा में साइटसीइंग
और शहर में देखने को क्या है? सचमुच बहुत कुछ, खासकर बारोक स्टाइल में बनी इमारतों के साथ यूनियन स्क्वैयर, जो रोमेनियन भाषा में पियाता उनीरी कहलाता है. या फिर रोमेनियन ऑर्थोडॉक्स कैथीड्रल. रंग-बिरंगे संगमरमर के टाइल्स और कीमती पेंटिंग्स बायजेंटिनियन और मोल्दावियन स्टाइल में बने चर्च की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.
हंगरी के वेशप्रेम में कला और संस्कृति
वेशप्रेम का अर्थ होता है सफेद झरना. इस शहर का इतिहास भी काफी घटनाओं से भरा है. वह हंगरी के सबसे पुराने शहरों में शामिल है. इसे सेड नदी की पांच पहाड़ियों पर बनाया गया था. उसे खास तौर पर अपने हैंडबॉल क्लब के लिए जाना जाता है, लेकिन वहां पर्यटकों के लिए भी काफी कुछ है, मसलन चर्च, म्यूजियम, कला संग्रह और आर्चबिशप का दो सौ साल पुराना महल.
पर्यटकों का आकर्षण होगा वेशप्रेम
वेशप्रेम शहर अब तक पर्यटन के नक्शे पर सफेद टुकड़ा है, जिसे सांस्कृतिक राजधानी के समारोहों के आयोजक बदलना चाहते हैं. आयोजकों का इरादा है कि अगले साल कम से कम 25 लाख लोग शहर में आएं और कार्यक्रमों में शामिल हों. एक बड़े समारोह के साथ 21 जनवरी को इन कार्यक्रमों की शुरुआत होगी, केंद्र में होगा संगीत और खाना-पीना. साथ ही वाइन भी.
बालाटोन झील पर छुट्टियां
वाइन क्यों? वेशप्रेम बालाटोन झील से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर है और उसके तटों पर रोमन काल से ही अंगूर उगाए जा रहे हैं. बालाटोन झील उथली है और गर्मियों में इसका पानी अमूमन जल्दी गर्म हो जाता है. इसलिए ये झील नहाने वालों में खासी लोकप्रिय है और हंगरी में छुट्टी बिताने वालों के लिए अहम केंद्र भी. 2023 में इसका खूब प्रचार-प्रसार करने की योजना है.
ग्रीस का शहर एलॉयसिस
2023 के लिए ग्रीस का एलेफसीना शहर भी यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी चुना गया है. एलेफसीना का पुराना नाम एलॉयसिस है और ये शहर राजधानी एथेंस से करीब 30 किलोमीटर दूर है. यह हमेशा ही एथेंस के साये में रहा है और अब सांस्कृतिक राजधानी के कार्यक्रमों के साथ उस साये से बाहर निकलना चाहता है. यह शहर प्राचीन काल से ही हर साल प्रकृति के पुनर्जन्म का जश्न मनाता रहा है.
प्राचीन काल के खंडहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम
पुराने समय में दसियों हजार तीर्थयात्री हर साल एलॉयसिस जाया करते थे. उन्हें खाद्यान्न और खेती की देवी डेमेटर के मंदिर में जीवन के रहस्य में दीक्षा दी जाती थी. अब तो वहां सिर्फ खंडहर ही बचे हैं. यहां और एलेफसीना की दूसरी जगहों पर थियेटर, प्रदर्शनी, बागवानी वर्कशॉप और ईको महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.
औद्योगिक शहर से सांस्कृतिक राजधानी
एलेफसीना का आखिरी स्वर्णकाल 19वीं सदी के आखिर और 20वीं सदी के शुरुआत में था. अपने बंदरगाह की वजह से यह शहर उस समय ग्रीस के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में शामिल था. बाद में पड़ोसी शहरों एथेंस और पिरेउस ने आर्थिक गतिविधियों को अपने यहां समेट लिया. और एलॉयसिस का बंदरगाह नावों की कब्रगाह बन कर रह गया. आज ये पर्यटकों का आकर्षण है.