आखिर आजादी की सांस मिली
हफ्तों तक यूक्रेन के मारियोपोल में एवोज्स्ताल स्टील फैक्ट्री में फंसे रहने के बाद आखिर लोगों को निकाला गया है. आजाद होने के बाद इन लोगों की तस्वीरें कई कहानियां कहती हैं.
आजादी का काफिला
जापोरिज्जिया प्रांत की ओर बढ़ता वाहनों का यह लंबा काफिला यूएन और रेड क्रॉस की मध्यस्थता के बाद आजाद हुए उन लोगों को लेकर जा रहा है जो हफ्तों से स्टील प्लांट में फंसे थे. मारियोपोल पर अब रूसी सेनाओं का कब्जा है.
हिम्मत नहीं बची
जापोरिज्जिया पहुंचे लोग हताश और थके हुए नजर आ रहे थे. स्टील प्लांट में फंसे इन सैकड़ों लोगों के पास हफ्तों तक खाने के लिए बहुत कम खाना था और बाहर लगातार बमबारी हो रही थी.
फिर जुटानी होगी हिम्मत
जापोरिज्जिया पर यूक्रेन का कब्जा है, जहां इन लोगों को ले जाया गया है. कई लोगों ने हफ्तों बाद पेट भरकर खाना खाया. वे बताते हैं कि जहां वे फंसे थे वहां बस अधेरा था, भूख थी और बेबसी थी.
दुखों का अंत नहीं
युद्ध ने इन लोगों पर गहरा असर छोड़ा है. देखने में ये लोग राहत में नजर आ रहे थे लेकिन युद्ध के निशान देखे जा सकते थे.
अपने पालतुओं के साथ
बहुत से लोग अपने पालतू जानवरों को साथ लेकर आए हैं. किसी के पास कुत्ता है तो किसी के पास बिल्लियां. इस महिला के पास अपने दो नन्हे कछुए थे जिन्हें वह बचा लाईं.
बस नींद चाहिए
इस महिला को यह कहने की जरूरत नहीं पड़ी कि फिलहाल वह बस सोना चाहती हैं. लगातार भारी बमबारी झेलने के बाद हफ्तों से चैन की नींद नसीब नहीं हुई थी.
जो बचे हैं उनके लिए उम्मीद
यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरीना वेरेश्चुंक को उम्मीद है कि जो लोग बचे हुए हैं उन्हें भी सुरक्षित निकाला जा सकेगा और इसमें संयुक्त राष्ट्र की मदद मिल पाएगी.
ताकि सनद रहे
जापोरिज्जिया में लोगों के स्वागत में आए कुछ लोगों ने उन सैनिकों को भी याद किया जो या स्टील प्लांट में फंसे हैं या फिर लड़ाई में मारे गए हैं. वे भी इंसान हैं, पोस्टर कहता है.