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यूरोप: औरों के मुकाबले यूक्रेनी शरणार्थियों से बेहतर बर्ताव

२० जून २०२४

यूरोप में अन्य देशों के विस्थापितों की तुलना में यूक्रेन से आए युद्ध शरणार्थियों के साथ बेहतर बर्ताव होता है. यहां तक कि यूक्रेनी नागरिकों में भी जातीयता के आधार पर अलग-अलग व्यवहार नजर आता है.

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यूक्रेन में जंग छिड़ने के बाद अपनी मां के साथ पोलैंड आकर रह रही एक यूक्रेनी किशोर बस की खिड़की से बाहर देखती हुई.
यूरोपियन कमीशन अगेंस्ट रेसिज्म एंड इनटॉलरेंस (ईसीआरआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के समय से ही यूक्रेनी विस्थापितों की मदद के लिए काफी कोशिशें की जा रही हैं. वहीं, अन्य विस्थापितों के साथ होने वाले बर्ताव में अंतर दिखता है. तस्वीर: Kacper Pempel/Reuters

रूस के हमले के बाद जान बचाकर भागने वाले यूक्रेनी नागरिकों को यूरोप में अन्य शरणार्थियों की तुलना में बेहतर सुविधाएं मिलती हैं. काउंसिल ऑफ यूरोप ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए सदस्य देशों से अपील की है कि वे युद्ध और अन्य आपातकालीन स्थितियों के कारण विस्थापित हुए सभी लोगों को समान मदद मुहैया कराएं.

जर्मनी और फ्रांस समेत 46 यूरोपीय देश काउंसिल ऑफ यूरोप के सदस्य हैं. यह संगठन लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून सम्मत शासन को बढ़ावा देता है.

अलग-अलग जातियता वाले लोगों में भेदभाव!

यूरोपियन कमीशन अगेंस्ट रेसिज्म एंड इनटॉलरेंस (ईसीआरआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के समय से ही यूक्रेनी विस्थापितों की मदद के लिए "उल्लेखनीय प्रयास" किए जा रहे हैं. लेकिन यूक्रेनी लोगों के साथ कैसा बर्ताव होता है, यह उनकी जातीयता पर निर्भर करता है.

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मसलन, रोमा समाज के यूक्रेनी नागरिकों को रहने के लिए जैसे इंतजाम उपलब्ध कराए गए, वे बाकी यूक्रेनियों से कमतर गुणवत्ता वाले थे. इसी तरह यूक्रेनी नागरिकों और बाकी जगहों से आए शरणार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी खासा फर्क देखा गया.

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में यूक्रेन युद्ध के विरोध में हो रहे प्रोटेस्ट में हिस्सा लेते प्रदर्शनकारी.
संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी के मुताबिक, फरवरी 2024 तक करीब 60 लाख यूक्रेनी यूरोप में पंजीकृत हैं. इनमें सबसे ज्यादा, करीब 13 लाख रजिस्ट्रेशन जर्मनी में हुए हैं. जर्मनी आने पर यूक्रेन के युद्ध शरणार्थियों को वेलफेयर के तहत सहायता राशि मिलती है. यह बेरोजगारों को मिलने वाले भुगतान जैसा है, लेकिन अन्य रिफ्यूजियों और असाइलम मांगने वालों की तुलना में ज्यादा है. 2023 के अंत तक, जर्मनी आए यूक्रेनी शरणार्थियों में केवल 214,000 ने ही काम करना शुरू किया था. तस्वीर: Olaf Schuelke/imago images

अफ्रीकी यूनियन ने भी की थी भेदभाव की शिकायत

ईसीआरआई ने सदस्य देशों से अपील की कि सभी विस्थापितों को पर्याप्त सुरक्षा और मदद मिलनी चाहिए, भले ही उनकी नागरिकता, त्वचा का रंग या धर्म जो भी हो. संगठन के कार्यकारी सचिव योहान फ्रीजडट ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "सामान्य यह होना चाहिए कि यूक्रेनी लोगों की ही तरह बाकी जगहों के लोगों का भी स्वागत किया जाना चाहिए."

यह पूछे जाने पर कि यूक्रेनियों के साथ ज्यादा एकजुटता की वजह कहीं उनका श्वेत होना तो नहीं, ईसीआरआई के अध्यक्ष बेरटिल कॉटियर ने कहा, "जब लोग कमोबेश आपकी तरह हों, तो आसान होता है."

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यूक्रेन पर रूसी हमले की शुरुआत के बाद अफ्रीकी यूनियन ने भी ऐसे भेदभाव की शिकायत की थी. यूनियन ने कहा था कि वह यूक्रेन में रह रहे अफ्रीकी नागरिकों के साथ हो रहे व्यवहार से क्षुब्ध है. उस वक्त कई खबरों में बताया गया था कि अफ्रीकी नागरिकों को सीमा पार कर सुरक्षित इलाके में आने से रोका जा रहा था.

ग्रीस की राजधानी एथेंस की एक मस्जिद में प्रार्थना कर रहे मुसलमान.
अक्टूबर 2023 में इस्राएल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुए संघर्ष का असर सिर्फ मध्यपूर्व तक सीमित नहीं है. दुनियाभर में मुसलमानों और यहूदियों, दोनों के खिलाफ नफरती घटनाएं बढ़ी हैं. तस्वीर: Ayhan Mehmet/AA/picture alliance

मुसलमानों और यहूदियों के खिलाफ नफरती घटनाएं

पूरे यूरोप में करीब 60 लाख यूक्रेनी विस्थापित रह रहे हैं. ईसीआरआई ने बताया कि यूक्रेनी विरोधी घटनाओं की भी जानकारी मिली है, लेकिन कुल मिलाकर उनके लिए सकारात्मक व्यवहार दिखता है. जनता और राजनीतिक नेतृत्व में भी उनके प्रति एकजुटता दिखती है. प्रतिकूल भावना ज्यादातर दूसरे देशों के विस्थापितों के लिए प्रचलित है.

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ईसीआरआई ने यह भी बताया कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले से शुरू हुए युद्ध के बाद मुसलमानों के खिलाफ नफरती घटनाएं भी बढ़ी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "समूचे समुदायों के प्रति रूढ़िबद्ध विचार और हिंसा के इस्तेमाल के साथ उनके कथित संबंधों के आधार पर मुसलमानों को हमले का दोष दिया गया."

कई यूरोपीय देशों में यहूदी विरोधी भावनाएं भी बढ़ी हैं. नफरती बयानबाजी, जान लेने की धममियां, यहूदी स्थलों पर तोड़-फोड़ से लेकर यहूदियों पर हमले की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है. आईसीआरआई ने रेखांकित किया, "इस्राएल की आलोचना को यहूदी विरोधी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यहूदियों की हत्या की अपील करना ऐंटी-सेमिटिक है."

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एसएम/आरएस (रॉयटर्स)