"2017 बच्चों के लिए एक बुरा सपना था"
२८ दिसम्बर २०१७कहीं बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया, तो कहीं आत्मघाती हमलावर के रूप में. यूनिसेफ के एक अधिकारी ने कहा कि जहां तक बच्चों की रक्षा की बात है, तो 2017 में अंतरराष्ट्रीय कानून की जबरदस्त अवहेलना हुई है. यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट जारी कर स्पष्ट किया है कि किस तरह संकट ग्रस्त इलाकों में भारी संख्या में बच्चों की जान गई है. कई जगहों पर इन्हें जंग के लिए नियुक्त भी किया गया.
यूनिसेफ के मानुएल फोनटेन ने इस बारे में कहा, "बच्चों को अपने घरों, स्कूलों और खेल के मैदानों में हमलों और बर्बर हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है." फोनटेन ने आगे कहा, "साल दर साल ये हमले होते चले जा रहे हैं. हम स्तब्ध हो कर नहीं बैठ सकते. इस बर्बरता को हम सामान्य मान कर स्वीकार नहीं कर सकते."
अफ्रीका: बच्चों के लिए सबसे बुरी जगह
इस रिपोर्ट में अफ्रीका में लंबे समय से चल रहे संघर्षों का भी जिक्र है. अफ्रीका को बच्चों के लिए दुनिया की सबसे बुरी जगहों में से एक बताया गया है, जहां बच्चों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. कांगो गणराज्य के कासाई इलाके में बीते साल पांच लाख बच्चे विस्थापित हुए और 400 स्कूलों पर योजनाबद्ध तरीके से हमला किया गया.
नाइजीरिया और कैमरून में आतंकी संगठन बोको हराम ने 135 बच्चों को आत्मघाती हमलावर के रूप में इस्तेमाल किया. पिछले साल की तुलना में यह संख्या पांच गुणा है. वहीं दक्षिण सूडान में 2013 से अब तक 19,000 बच्चों को जबरन युद्ध में उतारा गया है.
इसके अलावा यमन में मार्च 2015 में शुरू हुए गृह युद्ध के बाद से अब तक 5,000 बच्चे मारे गए हैं. खाने की किल्लत के चलते बीस लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. वहीं इराक और सीरिया में करीब 700 बच्चों की जान गई है.
यूनिसेफ की इस रिपोर्ट से पहले पोप फ्रांसिस ने भी अपने क्रिसमस संदेश में पूरी दुनिया का ध्यान इन बच्चों के हालात की ओर खींचा था. पोप ने कहा, "दुनिया भर में जहां भी बच्चे उन जगहों में रह रहे हैं, जहां शांति और सुरक्षा को खतरा है और जहां नए संघर्ष शुरू होने का तनाव है, उन सब बच्चों में हम ईसा को देखते हैं."
डेविड मार्टिन/आईबी