2023 में बढ़ गए तैनात परमाणु हथियार
स्वीडन के थिंक टैंक सिप्री (SIPRI) के मुताबिक परमाणु शक्ति संपन्न देशों की नीतियों में परमाणु हथियारों की भूमिका शीत युद्ध के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
परमाणु हथियारों की भूमिका
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न नौ देशों की कूटनीति में परमाणु हथियारों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है.
हर सेकंड 2,898 डॉलर का खर्च
इंटरनेशनल कैंपेन टु अबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस (ICAN) के मुताबिक बीते साल इन नौ देशों ने परमाणु हथियारों पर कुल मिलाकर 91.4 अरब डॉलर खर्च किए. यानी प्रति सेकेंड 2,898 डॉलर खर्च किए गए.
10.7 अरब डॉलर की वृद्धि
2022 के मुकाबले 2023 में परमाणु हथियारों पर 10.7 अरब डॉलर ज्यादा खर्च किए गए. इसका सबसे ज्यादा 80 फीसदी अमेरिका ने खर्च किया.
अमेरिका सबसे ऊपर
अमेरिका ने एक साल में परमाणु हथियारों पर 51.5 अरब डॉलर खर्च किए जो बाकी आठ देशों के कुल खर्च से भी ज्यादा है.
चीन दूसरे नंबर पर
परमाणु हथियारों पर खर्च के मामले में चीन दूसरे नंबर पर रहा. 2023 में उसने 11.8 अरब डॉलर खर्च किए. 8.3 अरब डॉलर खर्च के साथ रूस तीसरे नंबर पर रहा.
2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए तैयार
सिप्री का अनुमान है कि इस वक्त 2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में रखे गए हैं. इनमें से अधिकतर अमेरिका और रूस के हैं. हालांकि चीन ने भी कुछ हथियार तैनात कर दिए हैं जो कि पहली बार है.
12,121 परमाणु हथियार
सिप्री के मुताबिक दुनिया में कुल 12,121 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं जिनमें से 9,585 सेनाओं के पास हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 3,904 वॉरहेड मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात किए गए हैं. यह संख्या जनवरी 2023 के मुकाबले 60 ज्यादा है.