भविष्य में ये 10 बदलाव चाहते हैं युवा
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 187 देशों के लगभग 20 हजार युवाओं से पूछा कि वे भविष्य में क्या चाहते हैं. जानिए वे 10 चीजें जो युवा बदलना चाहते हैं.
समझदारी भरा उपभोक्तावाद
सर्वे में शामिल ज्यादातर युवाओं ने कहा कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले उपभोग को फायदेमंद बनाया जाए. कंपनियों की जिम्मेदारी तय की जाए और बड़े कॉरपोरेट जगत में बदलाव के लिए निवेशकों को जनता के साथ मिलकर काम करना चाहिए. भविष्य में खाने के उत्पादन और कुदरत को बचाने के लिए सभी को फौरन कदम उठाने चाहिए.
डिजिटल पहुंच
88.9 फीसदी युवाओं ने कहा कि इंटरनेट की पहुंच को एक मूलभूत अधिकार बना देना चाहिए. लगभग 26 फीसदी मानते हैं कि उनका देश अगले दस साल में भी सभी को इंटरनेट देने की स्थिति में नहीं है. युवाओं की मांग है कि इंटरनेट ब्लैकआउट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
मिथ्या सूचनाओं की रोकथाम
सर्वे में शामिल 38.4 प्रतिशत लोगों ने फेक न्यूज यानी फर्जी खबरों के प्रसार को सोशल मीडिया का सबसे बड़ा नुकसान बताया. 19.5 प्रतिशत युवा निजता का हनन और 11.4 फीसदी हेट स्पीच को सबसे बड़ा नुकसान मानते हैं. युवा चाहते हैं कि टेक कंपनियों को ज्यादा पारदर्शी होना चाहिए और सरकारों को ऐसी नीतियां लानी चाहिए जिनसे खतरनाक सामग्री से लोगों को बचाया जा सके.
भविष्य का लोकतंत्र
युवा चाहते हैं कि मानवतावादी दानी लोग युवा और प्रगतिशील आवाजों को सरकारों में लाने के लिए उनका साथ दें. मीडिया की मोनोपॉली के खिलाफ कानून बनें और राजनीति ज्यादा समावेशी हो.
सामाजिक सुरक्षा और समावेशी नौकरियां
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक असमानता से लड़ने के लिए पांच करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति पर ग्लोबल टैक्स लगना चाहिए. अपने कर्मचारियों को अधिक स्किल सिखाने वाली कंपनियों को टैक्स का लाभ मिलना चाहिए. यूनिवर्सिटी की बेहद महंगी फीस कम होनी चाहिए और सिलेबस आज के जॉब मॉर्किट के हिसाब से होना चाहिए.
ग्लोबल वॉर्मिंग
सरकारों को उन समुदायों पर निवेश करना होगा जिन्हें ग्लोबल वॉर्मिंग से खतरा ज्यादा है. ऐसी कंपनियों को धन न दिया जाए जो नए जीवाश्म ईंधन खोज रहे हैं. कंपनियों को ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने के लिए कदम उठाने होंगे. 70 प्रतिशत से ज्यादा युवा मानते हैं कि वे ऐसे नेता को वोट देंगे जो ग्लोबल वॉर्मिंग को मुद्दा मानता है और उसके लिए कदम उठाएगा.
मानसिक स्वास्थ्य
युवाओं ने इच्छा जताई है कि सरकारें हरेक को मानिसक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएं. इन समस्याओं के बारे में जागरूकता के लिए निवेश हो और यूनिवर्सिटी के सिलेबस का हिस्सा बनाया जाए.
लोगों की सुरक्षा
कानून के दायरे में कुछ लोगों को मिलने वाला गलत लाभ खत्म किया जाना चाहिए. बंदूकों पर प्रतिबंध होना चाहिए और ऐसी हिंसा के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. घरेलू और यौन हिंसा के बारे में कदम उठाए जाने की जरूरत है. और न्याय व्यवस्था को इस तरह काम करना चाहिए कि कमजोर तबकों को सुरक्षा मिले.
अगली पीढ़ी का पूंजीवाद
सरकारों को टेक कंपनियों के लिए नीतियां बनानी चाहिए जो लोगों के हित में हों. यूनिवर्सिटी में ईएसजी यानी एनवायर्नमेंट, सोशल ऐंड कॉरपोरेट गवर्नेंस को सिलेबस का हिस्सा बनाना चाहिए. कंपनियों में टेक-एथिक्स जरूरी होने चाहिए.
स्वास्थ्य सेवाएं
ज्यादातर युवा मानते हैं कि कोविड-19 वैक्सीन, टेस्ट और इलाज सबके लिए उपलब्ध होने चाहिए. सरकार को स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिजनों को प्राथमिकताएं देनी चाहिए. स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटाजेशन होना चाहिए.