इस्राएल-हमास संघर्ष का जर्मनी पर क्या असर पड़ेगा?
३१ अक्टूबर २०२३गाजा में संघर्ष के बीच दुनियाभर की निगाहें इस्राएल पर हैं कि कब इस्राएली सेना गाजा पर जमीनी हमला शुरू करेगी. एक ओर दुनिया का एक बड़ा वर्ग गाजा में बढ़ते मानवीय संकट पर निगाहें जमाए है, वहीं नीति-निर्माता और बड़े कारोबारी इस्राएल और हमास के बीच बढ़ते संघर्ष के आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.
जर्मनी के कुल निर्यात में इस्राएल को होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी महज 0.4 फीसदी है, लेकिन आर्थिक लिहाज से जर्मनी और इस्राएल एक-दूसरे के अहम कारोबारी साझेदार हैं. जर्मनी इस्राएल को वाहन, गाड़ियों के पुर्जे, मशीनें, अक्षय ऊर्जा, रसायन और दवाइयां निर्यात करता है.
कील इंस्टिट्यूट फॉर द वर्ल्ड इकॉनमी के वरिष्ठ शोध कर्मचारी रोल्फ लांगहामर डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "दोनों देशों के बीच व्यापार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कम है, लेकिन तकनीक के हस्तांतरण और नेचुरल साइंस और फिजिक्स के क्षेत्र में शोध और आपसी सहयोग के लिहाज से इस्राएल बहुत ही अहम है. ऐसा 1960 के दशक से ही है."
हालिया वर्षों में जर्मनी की कंपनियों ने इस्राएल के कई टेक स्टार्टअप के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए हैं. जर्मन सरकार की वेबसाइट बताती है कि मेर्क और सीमेन्स जैसी प्रमुख कंपनियां इस्राएल के शीर्ष इंजीनियरों की भर्ती करती है. वहीं डॉयचे टेलीकॉम, बॉश, डाइमलर, फॉक्सवैगन और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों ने इस्राएल में रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किए हैं या नई कंपनियों में निवेश किया है.
थम गए जर्मनी-इस्राएल के बीच कुछ सहयोग
उद्योग जगह के अगुआ उम्मीद जता रहे हैं कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग मजबूत बना रहेगा. खासकर इसलिए, क्योंकि इस्राएल साइबर सुरक्षा, बायोटेक, स्वास्थ्य और अक्षय ऊर्जा के साथ-साथ खाद्य क्षेत्र में नवाचार करने में अग्रणी है. लेकिन छोटी अवधि में कई प्रोजेक्ट रोके जा सकते हैं, क्योंकि इस्राएल-हमास संघर्ष किस दिशा में जाएगा, इस पर अनिश्चितता बनी हुई है.
जर्मन-इस्राएल चेंबर ऑफ इंडस्ट्री ऐंड कॉमर्स के उप प्रबंध निदेशक चार्म रिकोवर कहते हैं, "जर्मनी की कंपनियों को यह विवाद और बढ़ने का डर है. खासकर अगर ईरान और अन्य देश भी इस संघर्ष में शामिल हो जाते हैं. अगर हमें एक लंबा और खूनी संघर्ष देखना पड़ता है, तो मैं इसके नतीजों की कल्पना नहीं करना चाहता."
रिकोवर कहते हैं कि इस्राएल में काम करने वाली जर्मन कंपनियां फिलहाल हालात पर नजर बनाए हैं और स्थिति साफ होने का इंतजार कर रही हैं. हालांकि, वह यह भी बताते हैं कि 7 अक्टूबर को हमास के हमला करने के बाद से इस्राएली अर्थव्यवस्था किस तरह प्रभावित हुई है. इस्राएल की मुद्रा शेकेल डॉलर के मुकाबले कई वर्षों के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गई है. हजारों लोगों को इस्राएली सेना ने सेवाएं देने के लिए बुलाया है. इससे कई कंपनियों में कर्मचारियों की कमी हो गई है. सुरक्षा संबंधी खतरों की वजह से ज्यादातर ग्राहक घरों में ही हैं. इसकी वजह से हजारों कर्मचारियों को अस्थायी रूप से अवैतनिक अवकाश पर रखा गया है.
रिकोवर कहते हैं, "हमें धैर्य रखना होगा और उम्मीद करनी होगी कि यह संघर्ष आगे न बढ़े और कुछ हफ्तों में हालात ठीक हो जाएं."
संतुलन साधने की कोशिश करता जर्मनी
जर्मनी की सरकार ने इस्राएल के अपनी रक्षा करने के अधिकार का पुरजोर समर्थन किया है. लेकिन साथ ही, जर्मनी को नाजुक संतुलन साधने की कोशिश भी करनी होगी, क्योंकि मध्य-पूर्व के अन्य देशों ने हमास आतंकी समूह के खिलाफ लड़ाई में इस्राएल की सैन्य रणनीति की निंदा की है. इनमें से कई देश जर्मनी के लिए और अधिक महत्वपूर्ण आर्थिक सहयोगी हैं या बनने की क्षमता रखते हैं.
उदाहरण के लिए , 7 अक्टूबर को हमले के दौरान इस्राएल में हमास द्वारा पकड़े गए करीब 220 बंधकों की रिहाई में मदद करने के लिए कतर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है. गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अरब देशों ने हमास के खिलाफ इस्राएल की लड़ाई की तीखी आलोचना की है, जिसमें अब तक 7,000 लोग मारे जा चुके हैं.
इस सप्ताह कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने कहा, "इस्राएल को फलीस्तीनियों को मारने के लिए बिना शर्त हरी झंडी और अप्रतिबंधित अधिकार नहीं मिलने चाहिए."
कील के लांगहामर ने डीडब्ल्यू ने कहा, "कतर जर्मनी में मध्य-पूर्व के सबसे अहम निवेशक के रूप में खड़ा है. इसके पास फॉक्सवैगन, डॉयचे बैंक और सीमेन्स जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी है." वह याद दिलाते हैं कि पिछले साल जब यूरोप ऊर्जा संकट से जूझ रहा था और गैस की कीमतें आसमान छू रही थीं, तब जर्मनी ने नैचुरल गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कतर के साथ 2026 तक के लिए एक समझौता किया था.
लांगहामर कहते हैं, "इस संकट के किसी भी दिशा में आगे बढ़ने से जर्मनी बुरी तरह प्रभावित होगा, क्योंकि ऊर्जा के लिए जर्मनी इस क्षेत्र पर निर्भर है. लेकिन साथ ही, कतर जैसा देश भी जर्मनी की शीर्ष कंपनियों में अपने निवेश को बर्बाद होते नहीं देखना चाहता है. ईरान यकीनन बड़ा खतरा है."
ईरान भी है पेचीदा किरदार
हमास और लेबनान के आतंकी समूह हिजबुल्लाह की मदद करने वाला ईरान इस्राएल से भी लड़ रहा है. ईरान पहले भी इस्राएल और पश्चिम के साथ विवाद के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य को बाधित करने की धमकी दे चुका है. होर्मुज दुनिया का सबसे अहम तेल चोकपॉइंट है, क्योंकि इस जलमार्ग से बड़ी मात्रा में तेल भेजा जाता है.
ईरान अपने विवादित परमाणु कार्यक्रम की वजह से पश्चिम के साथ व्यापार से अलग हो गया है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान पर कई प्रतिबंध भी लगा रखे हैं.
वहीं जर्मनी के निर्यातकों की दिलचस्पी खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों में बढ़ रही है. इनमें इजिप्ट और सऊदी अरब भी शामिल हैं. इजिप्ट की आबादी 11 करोड़ और सऊदी अरब की आबादी 3.6 करोड़ है.
मध्य-पूर्व में जर्मनी के लिए अवसर
जर्मन नियर ऐंड मिडिल ईस्ट असोसिएशन की सीईओ हेलेन रांग ने डीडब्ल्यू को बताया, "मध्य-पूर्व के साथ आर्थिक संबंधों की रणनीतिक अहमियत भी है. भौगोलिक नजदीकी के साथ-साथ इन देशों की बढ़ती आबादी, इसकी वजह से होने वाली बिक्री और बढ़ता उपभोक्ता बाजार भी इसके प्रमुख कारकों में शामिल हैं."
रांग ने भविष्य के ऐसे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया, जिसमें सऊदी अरब का 'निओम' शामिल है. निओम लाल सागर के किनारे आधे ट्रिलियन डॉलर से बनाया जा रहा विशाल शहर है, जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है. जर्मनी के कारोबारियों को इसमें बढ़िया अवसर दिख रहा है.
रांग कहती हैं, "हमें उम्मीद है कि इस बढ़ते संघर्ष का आर्थिक सहयोग पर बहुत प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालात मुश्किल हैं, लेकिन हमें उम्मीद भी है कि इसका हल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के जरिए निकाला जाएगा. इजिप्ट में हुई शांति-बैठक इस दिशा में अहम शुरुआती कदम है."