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क्या विमानों में पीछे की सीटें ज्यादा सुरक्षित होती हैं?

विवेक कुमार
३० दिसम्बर २०२४

हाल ही में अजरबाइजान और दक्षिण कोरिया में हुए विमान हादसों में देखा गया कि पिछले हिस्सों को कम नुकसान पहुंचा. तो क्या पीछे की सीटें ज्यादा सुरक्षित होती हैं?

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मुआन एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार विमान
दक्षिण कोरिया के मुआन में हादसे के बाद बचा विमान का पिछला हिस्सातस्वीर: JUNG YEON-JE/AFP

रविवार को दक्षिण कोरिया में एक जेटलाइनर रनवे से फिसलकर एक कंक्रीट की दीवार से टकराया और आग की लपटों में घिर गया. यह हादसा दक्षिण कोरिया के मुआन शहर में हुआ, जब विमान के लैंडिंग गियर शायद खुल नहीं पाए. अधिकारियों ने बताया कि इस दुर्घटना में 181 यात्रियों में से सिर्फ दो लोग बच पाए, जबकि बाकी सभी की मौत हो गई. यह देश के सबसे भयानक हवाई हादसों में से एक है.

दक्षिण कोरियाई टेलीविजन पर दिखाए गए वीडियो में जेजू एयरलाइंस के विमान को तेज गति से रनवे पर फिसलते हुए देखा गया. उसके लैंडिंग गियर बंद दिखाई दिए. इसके बाद विमान दीवार से टकराया, जिससे एक बड़ा विस्फोट हुआ और घना काला धुआं उठने लगा.

पीछे का हिस्सा बचा

दक्षिण कोरियाई फायर एजेंसी ने बताया कि इस हादसे में 179 लोगों की मौत हो गई. आपातकालीन बचाव दल ने चालक दल के दो सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाला. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, ये दोनों होश में थे और उनकी चोटें जानलेवा नहीं लग रही थीं.

Südkorea Muan International Airport | Flugzeug-Unglück
तस्वीर: JUNG YEON-JE/AFP

मुआन फायर स्टेशन के प्रमुख, ली जियोंग-ह्यून, ने एक टीवी ब्रीफिंग में बताया कि विमान पूरी तरह से नष्ट हो गया है. मलबे में केवल इसकी पूंछ का हिस्सा ही पहचानने योग्य बचा है.

इससे पहले 25 दिसंबर को अजरबाइजान एयरलाइंस की फ्लाइट जे2-8243 दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 67 यात्रियों में से 38 की मौत हो गई. यह विमान बाकू से रूस के चेचन्या क्षेत्र के ग्रोज्नी जा रहा था, लेकिन कजाखस्तान के अक्ताऊ के पास उसे आपाकालीन स्थिति में उतरना पड़ा. इसी दौरान विमान हादसे का शिकार हुआ.

कजाख्स्तान में हादसे का शिकार विमान
कजाख्स्तान के अक्ताऊ में हादसे के बाद विमानतस्वीर: Meiramgul Kussainova/Anadolu/picture alliance

बताया जा रहा है कि विमान (एम्ब्रेयर 190) को गलती से रूसी एयर डिफेंस ने निशाना बनाया, जिससे इसे अपने निर्धारित मार्ग से हटना पड़ा. दुर्घटना के वीडियो में विमान के पिछले हिस्से से कुछ बचे हुए लोगों को बाहर निकलते देखा गया. यह हिस्सा अपेक्षाकृत कम क्षतिग्रस्त था.

हवाई जहाज की सबसे सुरक्षित सीट

हवाई यात्रा दुनिया का सबसे सुरक्षित तरीका है. करोड़ों उड़ानों में हादसे की संभावना बेहद कम होती है. हालांकि जब कोई विमान हादसा होता है, तो यह सवाल जरूर उठाता है कि क्या विमान में कुछ सीटें ऐसी होती हैं जो ज्यादा सुरक्षित होती हैं? हाल ही में दक्षिण कोरिया और अजरबैजान के हादसों ने इस पर चर्चा को और बढ़ा दिया. इन हादसों ने दिखाया कि प्लेन में आपकी सीट का स्थान भी आपकी सुरक्षा पर असर डाल सकता है.

2013 में एशियाना एयरलाइंस का विमान सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर क्रैश लैंड हुआ था. इस हादसे में विमान के पिछले हिस्से में बैठे कई यात्री बच गए थे. वजह थी कि टक्कर का ज्यादातर असर प्लेन के आगे के हिस्से पर पड़ा. इसी तरह अजरबैजान में हुए हादसे में भी जिन यात्रियों ने अपनी जान बचाई, वे इमरजेंसी एग्जिट के पास बैठे थे. यह दिखाता है कि अगर आप सही जगह बैठे हैं और जल्दी बाहर निकल सकते हैं, तो आपके बचने की संभावना बढ़ जाती है.

1989 में यूनाइटेड फ्लाइट 232 का हादसा सिओक्स सिटी, आयोवा में हुआ. यह हादसा पूरी तरह से विमान के हाइड्रॉलिक सिस्टम फेल होने की वजह से हुआ था. फिर भी, इस हादसे में 269 यात्रियों में से 184 जिंदा बचे. इनमें से ज्यादातर लोग इकोनॉमी क्लास के सामने वाले हिस्से में बैठे थे. हालांकि, टाइम मैगजीन ने 35 साल के विमान हादसों के अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि पिछले हिस्से के बीच की सीटों पर बैठे यात्रियों के बचने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन सीटों पर मौत का खतरा सिर्फ 28 फीसदी होता है, जबकि बीच की सीटों पर यह खतरा 44 फीसदी तक पहुंच जाता है.

सुरक्षित सीटें

विमान में पीछे और बीच की सीटों को ज्यादा सुरक्षित मानने की कुछ वजहें हैं. आम तौर पर हादसे में सबसे ज्यादा असर विमान के आगे के हिस्से पर पड़ता है. पीछे का हिस्सा अक्सर टक्कर से बचा रह जाता है. साथ ही, विमान के पंखों में ईंधन भरा होता है, जिससे हादसे के वक्त आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. विमान के पंखों के पास बैठना इसीलिए सुरक्षित नहीं माना जाता. दूसरी तरफ, बीच की सीट पर दोनों तरफ लोग बैठे होते हैं, जो एक तरह का सुरक्षा कवच बना सकते हैं.

आसमान मे बढ़ते ड्रोनों का कड़वा सच

हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि हर हादसा अलग होता है. कई बार हादसे के तरीके से यह तय होता है कि कौन बचेगा और कौन नहीं. 1979 में न्यूजीलैंड का एक विमान अंटार्कटिका में माउंट एरेबस से टकरा गया था. यह इतना भयानक हादसा था कि इसमें सभी 257 यात्रियों की मौत हो गई. वहीं, 2009 में यूएस एयरवेज की फ्लाइट 1549 ने पक्षियों से टकराने के बाद न्यूयॉर्क की हडसन नदी में सुरक्षित लैंडिंग की. इसमें सभी 155 यात्रियों और क्रू के सदस्यों की जान बच गई. इससे पता चलता है कि पायलट की कुशलता और परिस्थितियां भी बड़ा फर्क डालती हैं.

और भी कारक हैं

ऑस्ट्रेलिया की सीक्यू यूनिवर्सिटी में एविएशन के प्रोफेसर डग ड्रूरी कहते हैं कि सिर्फ सीट का स्थान ही नहीं, बल्कि दूसरे कारक भी यात्रियों की सुरक्षा पर असर डालते हैं. जैसे कि अगर आप इमरजेंसी एग्जिट के पास बैठे हैं, तो हादसे के बाद जल्दी बाहर निकल सकते हैं. कन्वर्सेशन पत्रिका के लिए अपने एक लेख में डॉ. ड्रूरी लिखते हैं कि विमान में शांत रहना और क्रू के निर्देशों का पालन करना भी यात्रियों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.

इसके अलावा, विमान में बैठे हुए सीट बेल्ट बांधे रखना इसलिए जरूरी बताया जाता है ताकि हवा में अचानक झटकों यानी टर्बुलेंस के दौरान आप चोट से बच सकें.

आधुनिक विमानों को बहुत तकनीकीरूप से मजबूत और सुरक्षित बनाया जाता है. इनके डिजाइन में लचीलापन होता है, ताकि भारी झटकों को सह सकें. पायलट और क्रू को इमरजेंसी से निपटने की गहन ट्रेनिंग दी जाती है. हालांकि अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि किसी विमान में कोई सीट 100 फीसदी सुरक्षित नहीं होती.

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