बेलारूस में चक्कर क्या चल रहा है?
अगस्त की शुरुआत से बेलारूस चर्चा में है. कोरोना संकट के बीच भी वहां लाखों लोग प्रदर्शन के लिए जुट रहे हैं. जानिए बेलारूस का पूरा मामला क्या है.
कहां है बेलारूस?
यूरोपीय देश बेलारूस रूस और यूक्रेन की सीमा पर स्थित है. 1991 में यह सोवियत संघ से अलग हुआ और 1994 आलेक्जांडर लुकाशेंको यहां के पहले राष्ट्रपति बने. 26 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी लुकाशेंको ही वहां के राष्ट्रपति बने हुए हैं.
विवाद की जड़
1994 से आज तक लुकाशेंको कोई चुनाव नहीं हारे हैं. हालांकि हर बार चुनाव में धांधली की खबर आती है लेकिन लुकाशेंको को इससे कभी कोई फर्क नहीं पड़ा है. पर 9 अगस्त 2020 को हुए चुनावों में जब उन्हें 80 फीसदी बहुमत मिलने की घोषणा हुई तो जनता ने विद्रोह कर दिया.
आंदोलन का चेहरा
लुकाशेंको की मुख्य विरोधी स्वेतलाना तिखानोवस्काया को औपचारिक रूप से महज 10 फीसदी ही वोट मिले, जबकि जनता ने बढ़ चढ़ कर उनका साथ दिया था. ऐसे में ना केवल देश की जनता ने, बल्कि यूरोपीय संघ ने भी चुनाव के नतीजों को ठुकरा दिया.
सड़कों पर उतरे लोग
हाथों में विरोध का लाल और सफेद झंडा लिए लाखों लोग सकड़ों पर उतरे और "लुकाशेंको जाओ" के नारे लगाने लगे. राष्ट्रपति ने इसके पीछे "विदेशी ताकतों का हाथ" बताया. लेकिन लोग नहीं रुके. इन प्रदर्शनों में दो लोगों की जान भी गई.
हिरासत में नागरिक
शुरुआत में ही प्रदर्शन करने वाले करीब 7,000 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद स्वेतलाना तिखानोवस्काया ने पुलिस और सेना से नागरिकों का साथ देने और विद्रोह करने की अपील की.
टीवी स्टूडियो खाली
बेलारूस के राष्ट्रीय प्रसारक "बीटी" में सैकड़ों की संख्या में पत्रकारों, कैमरा कर्मियों और अन्य स्टाफ ने इस्तीफा दे दिया. इन्होंने सरकार की आवाज बनने से इनकार कर दिया. इस दौरान लाइव टीवी पर खाली स्टूडियो देखा गया.
फैक्ट्रियां भी खाली
फैक्ट्रियों में काम करने वालों को अब तक लुकाशेंको का समर्थक माना जाता रहा है लेकिन 17 अगस्त को इन्होंने भी हड़ताल कर दी और "लुकाशेंको जाओ" के नारे लगाने लगे. पूरे देश में लुकाशेंको को हटाने की आवाजें गूंजने लगीं.
मरते दम तक नहीं छोडूंगा!
लुकाशेंको ने एक जवाबी रैली निकाली जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक वे जिंदा हैं, वे दोबारा चुनाव नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा, "जब तक आप लोग मुझे मार नहीं देते, तब तक कोई नए चुनाव नहीं होंगे."
सुरक्षाबलों से खिलवाड़
पुलिस कहीं सरकार के खिलाफ ना हो जाए, इस डर से लुकाशेंको ने 18 अगस्त को 300 सुरक्षबलों को मेडल दिए. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसका चुनाव और उसके बाद होने वाले प्रदर्शनों से कोई लेना देना नहीं है लेकिन बावजूद इसके कई पुलिसकर्मियों ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया.
बीचबचाव में ईयू
20 अगस्त को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात की और रूस और ईयू की मदद से बेलारूस के मामले में मध्यस्थता करने की पेशकश की. पर साथ ही रूस को चेतावनी भी दी कि अपने पड़ोसी देश में वह कोई आक्रामक हस्तक्षेप ना करे.
न्यूज वेबसाइटें सेंसर
देश में करीब 20 न्यूज वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया गया है ताकि लोगों तक प्रदर्शनों की खबर ना पहुंच सके. यहां तक कि अखबारें भी नहीं छप रही हैं. देश के सरकारी पब्लिशिंग हाउस का कहना है कि उनकी मशीनें खराब हो गई हैं.
सेना को आदेश
इस बीच सेना तैनात कर दी गई है और आदेश दिए गए हैं कि राष्ट्रपति की सुरक्षा अगर खतरे में आती है तो सेना "कड़े से कड़ा कदम" उठाए. लुकाशेंको ने कहा है कि सेना पर "देश की अखंडता" बचाने की जिम्मेदारी है.
लाखों की तादाद में
रविवार, 23 अगस्त को करीब डेढ़ से दो लाख लोग प्रदर्शनों के लिए राजधानी मिंस्क की सड़कों पर जमा हुए. राष्ट्रपति की धमकियों का इन पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है.
हाथ में एके-47
लुकाशेंको ने कह तो दिया कि मुझे हटाना है तो मार डालो लेकिन अब उन्हें अपनी जान की चिंता होने लगी है. यही वजह है कि जब लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे थे, तब वे बुलेट प्रूफ वेस्ट पहने और हाथ में क्लाशनिकोव राइफल पकड़े अपने घर के बाहर नजर आए.