भारत: पराली जलाने की निगरानी के तरीके पर सवाल
भारत में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए अभी तक सैटेलाइट के जरिए खेतों में लगी हुई आग पर नजर रखी जा रही थी. लेकिन अब इस तरीके पर सवाल उठ रहे हैं. जानिए क्या हैं ये सवाल.
क्यों लगाई जाती है खेतों में आग
कई राज्यों में किसान धान की कटाई के बाद गेहूं उगाने से पहले खेतों को तैयार करने के लिए जमीन के करीब बची हुई बारीक फसल (पराली) को आग लगा देते हैं.यह तरीका बंद हो इसके लिए इस पराली को काटने के लिए सरकार की तरफ से विशेष मशीनों की खरीद पर सब्सिडी दी जा रही है.
क्या कारगर हैं मशीनें
सब्सिडी के बावजूद ये मशीनें बहुत महंगी पड़ती हैं. किराए पर लेने के लिए भी काफी इंतजार करना पड़ता है. इसलिए इन मशीनों का कम ही इस्तेमाल हो पा रहा है.
खेतों की आग की निगरानी कैसे होती है
पराली जलाने की घटनाओं की सैटेलाइटों के जरिए निगरानी की जाती है. नासा की दो सैटेलाइटें पंजाब और हरियाणा के ऊपर से दिन में दो बार गुजरती हैं - सुबह 10.30 बजे और दिन में 1.30 बजे. इसरो इनसे जलाने की घटनाओं का डाटा लेती है और सरकार को देती है.
क्या यह सबसे सही तरीका है?
नासा की सैटेलाइटों को इस इलाके से गुजरने में सिर्फ 90 सेकंड लगते हैं और ये सिर्फ इसी अवधि में या इससे आधे घंटे पहले लगी हुई आग की निगरानी कर पाती हैं. विशेषज्ञों को संदेह है कि धीरे धीरे किसान निगरानी की इस अवधि के बारे में जान गए हैं और उन्होंने इन सैटलाइटों से बचने के लिए पराली जलाने के समय को बदल लिया है.
क्यों उठ रहे हैं सवाल
सुप्रीम कोर्ट के एक सलाहकार का कहना है कि घूमती हुई सैटेलाइटों और एक जगह रुकी हुई सैटेलाइटों से मिले डाटा में अंतर है. अमेरिका में नासा के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के हवाले से सलाहकार ने बताया कि दक्षिण कोरिया की एक रुकी हुई सैटेलाइट ने शाम के 4.20 बजे पराली जलाने की घटनाएं देखी हैं, यानी तब जब नासा की सैटेलाइटें जा चुकी थीं.
विकल्प क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने तो भारत सरकार को आदेश दिया था कि वो विकल्प के तौर पर रुकी हुई सैटेलाइटों से डाटा ले ले, लेकिन सरकार का कहना था कि यह डाटा उच्च गुणवत्ता का नहीं है. इसकी जगह इसरो एक तरीके पर काम कर रही जिसके जरिए आग की निगरानी करने की जगह आग की वजह से जले हुए इलाके का अध्ययन करके इन घटनाओं को गिना जा सकेगा. सीके/एनआर (रॉयटर्स)