मोरक्को छोड़कर सेउता क्यों जा रहे हैं हजारों लोग
२१ मई २०२१करीब 6,000 लोग मोरक्को से स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता चले गए हैं. उनमें से कई तैर कर गए तो कुछ लोगों ने रबर की डिंगियों का इस्तेमाल किया. इन कोशिशों में कम से कम एक व्यक्ति डूब गया. मोरक्को ने अभी इस बारे में कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है लेकिन देश के मानवाधिकार मंत्री मुस्तफा रमीद पहले फेसबुक पर स्पेन के व्यवहार की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि स्पेन उनके देश के खिलाफ हथियार उठाने वाले लोगों को शरण दे रहा है. संभवतया उनका इशारा पोलीसारियो फ्रंट के नेता ब्राहिम घाली की ओर था जिनका अप्रैल से ही उत्तरी स्पेन में कोविड के कारण इलाज चल रहा है.
पोलीसारियो फ्रंट एक स्वतंत्रता आंदोलन है जो पश्चिमी सहारा के एक इलाके पर अपना कब्जा बताता है. मोरक्को इस इलाके को अपना बताता है. यूं तो सेउता से लगते तटीय इलाके पर सुरक्षाबलों की भारी तैनाती रहती है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि घाली को स्पेन ले जाए जाने के बाद मोरक्को ने जानबूझकर सुरक्षा कम कर दी. पिछले हफ्ते स्पेन के सर्वोच्च न्यायालय ने घाली को संभावित युद्ध अपराधों के मामले में कानूनी नोटिस जारी किया है.
मोरक्को क्यों परेशान है?
मोरक्को सरकार चिंतित इस बात को लेकर है कि यूरोपीय संघ का एक सदस्य घाली का इलाज कर रहा है. उसे लगता है कि इससे पश्चिमी सहारा पर उसका दावा कमजोर पड़ता है जबकि उसे उम्मीद थी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके इस दावे का समर्थन मिलेगा. ऐसी उम्मीद पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बाद जगी थी. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह मोरक्को के इस दावे को मान्यता देंगे. माना गया कि मोरक्को के इस्राएल के साथ कूटनीतिक रिश्ते स्थापित करने के एवज में उसे यह मान्यता मिली है. लेकिन घाली को लेकर स्पेन के कदम ने मोरक्को को उलझन में डाल दिया है.
इस विवाद में जर्मनी का पक्ष
पश्चिमी सहारा को लेकर मोरक्को जर्मनी से भी उलझा हुआ है. मई की शुरुआत में इस उत्तर अफ्रीकी देश ने बर्लिन से अपने राजदूत को यह कहते हुए वापस बुला लिया था कि जर्मनी की गतिविधियां उसके प्रतिकूल हैं. जर्मनी ने अमेरिका द्वारा पश्चिमी सहारा पर मोरक्को के दावे को मान्यता दिए जाने की आलोचना की थी. उसने तो इस मामले पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक तक बुला ली थी.
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
इस पूरे विवाद की शुरुआत 1884 से होती है जब कथित कॉन्गो सम्मेलन के तहत अफ्रीका के बड़े हिस्सों को यूरोप की तत्कालीन साम्राज्यावादी ताकतों के बीच बांट दिया गया था. पश्चिमी सहारा कहा जाने वाला इलाका तब स्पेन के प्रभाव में आ गया था. 1976 में स्पेन उस इलाके से पीछे हटने लगा. तब मोरक्को और मॉरिटेनिया दोनों ने इस इलाके पर दावे शुरू दिए. लेकिन 1979 में मॉरिटेनिया ने अपना दावा छोड़ दिया और मोरक्को ने पश्चिमी सहारा के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया.
पोलिसारियो फ्रंट क्या है?
पोलिसारियो फ्रंट एक स्पैनिश नाम है जिसे अंग्रेजी में पॉप्युलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ सेगुआ अल हमरा एंड रियो डे ओरो कहा जा सकता है. इसकी स्थापनी 1973 में हुई थी. पूरे नाम मे शामिल ये दोनों इलाके पश्चिमी सहारा में हैं और पोलिसारियो का मकसद पश्चिमी सहारा में एक स्वतंत्र देश की स्थापना है.1970 के दशक में मोरक्को के बहुत से लोग रहने के लिए उन इलाकों चले गए थे, जिसे पोलीसारियो ने सहारन अरब डेमोक्रैटिक रिपब्लिक कहा था. 1975 में मोरक्को की सेना से उनका हिंसक विवाद शुरू हो गया. पोलीसारियो को पड़ोसी अल्जीरिया का समर्थन भी मिलता है. वहीं पश्चिमी सहारा के शरणार्थी बड़ी संख्या में हैं. 1991 में दोनों पक्षों के बीच एक युद्ध विराम का ऐलान हुआ जो कमोबेश अब तक जारी है. हालांकि पिछले साल पहली बार युद्ध विराम का पहला गंभीर उल्लंघन हुआ था.
पश्चिमी सहारा इतना जरूरी क्यों है?
यह इलाका खनिज संपन्न है. दुनिया के सबसे बड़े फॉस्फेट भंडार यहां मिलते हैं. पूरी दुनिया का ज्ञात लगभग 72 प्रतिशत भंडार इसी इलाके में है. 1991 के युद्ध विराम से पहले मोरक्को ने सीमा पर एक दीवार भी बनानी शुरू कर दी थी जिस कारण खनिजों वाले ज्यादातर इलाके पर मोरक्को का कब्जा है. सहारन अरब डेमोक्रैटिक रिपब्लिक को लगभग 50 देश मान्यता देते हैं. अफ्रीकी संघ भी उसे मानता है और इसे अक्सर ‘गैर-स्वशासी क्षेत्र' कहा जाता है. बल्कि अफ्रीकी संघ का सदस्य तो यह 1984 से है. और तभी से मोरक्को ने संघ से नाता तोड़ लिया था. तब के बाद 2017 में उसकी संघ में वापसी हुई. सहारन अरब डेमोक्रैटिक रिपब्लिक के कानूनी दर्जे को लेकर अलग-अलग हल सुझाए गए हैं मसलन इसे मोरक्को के भीतर ही स्वायत्तता दे दी जाए. संयुक्त राष्ट्र के मिशन फॉर रेफरेंडम इन वेस्टर्न सहारा को सबसे पहले तो इसी इलाके में जनमत संग्रह कराने के लिए भेजा गया था ताकि वहां के लोग अपना भविष्य खुद चुन सकें. लेकिन आज भी इस विवाद के एक सर्वमान्य हल के लिए विचार-विमर्श जारी है.