वर्ल्ड चैंपियन गुकेश डोम्मराजू, नाम तो सुना ही होगा!
गुकेश डोम्मराजू, शतरंज में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए हैं. उनकी आंखें कई साल पहले इस मकाम को छूने का सपना देख चुकी थीं. जानिए कैसे बने गुकेश विश्व चैंपियन.
विश्वनाथन आनंद को हारते देखकर पनपा एक ख्वाब
नवंबर 2013 में जब गुकेश डोम्मराजू ने विश्वनाथन आनंद को विश्व चैंपियन का खिताब हारते हुए देखा, तब वो सिर्फ सात साल के थे. उसी मैच के बाद उन्होंने यह खिताब भारत वापस लाने का सपना देखा था.
शुरू में थी घबराहट
गुकेश ने बताया कि सिंगापुर में अपने पहले मैच के दौरान वो थोड़े घबराए हुए थे. गुकेश ये मैच हार भी गए. फिर जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ा, उनका आत्मविश्वास लौटा और उन्होंने फाइनल समेत कुल तीन मैच जीत लिए और नौ में ड्रॉ किया.
किसी भी तरफ पलट सकता था मुकाबला
अंतिम मैच पहले ही ड्रॉ की तरफ बढ़ रहा था और ज्यादातर लोग उम्मीद कर रहे थे कि 13 दिसंबर को रैपिड-फायर टाईब्रेकर मैचों की जरूरत पड़ेगी. इन मैचों में डिंग का फायदा हो सकता था.
... लेकिन गुकेश ने हिम्मत नहीं हारी
गुकेश ने हिम्मत नहीं हारी और डिंग को एक बड़ी गलती करने पर मजबूर कर दिया. डिंग ने गलती करने के बाद हाथ खड़े कर दिए. उन्हें इनाम राशि में 11.5 लाख डॉलर मिले, जबकि चैंपियन गुकेश को 13.5 लाख डॉलर.
सपना कर लिया पूरा
गुकेश को वर्ल्ड चैंपियन बनने का अपना सपना पूरे करने में 11 साल लगे. सिंगापुर में 18 साल के गुकेश, 14 दिनों के मैच के बाद चीन के डिंग लिरेन को हरा कर सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए.
अब आगे क्या हासिल करना चाहते हैं गुकेश?
मैच के बाद गुकेश ने पत्रकारों को बताया कि यह तो बस शुरुआत है. वह "सबसे लंबे समय तक" चोटी पर रहना चाहते हैं और आनंद को हराने वाले मैग्नस कार्लसन की तरह इतिहास में सबसे ज्यादा रेटिंग वाले शतरंज के खिलाड़ी का दर्जा हासिल करना चाहते हैं.
'बेमिसाल टैलेंट और दृढ़ निश्चय'
विश्वनाथन आनंद और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुकेश को बधाई देने वाले सबसे शुरुआती लोगों में थे. आनंद ने एक सोशल पोस्ट में लिखा कि यह शतरंज के लिए, भारत के लिए और निजी रूप से उनके लिए एक गर्व का क्षण है. पीएम मोदी ने गुकेश की जीत को एक "उल्लेखनीय उपलब्धि" बताते हुए कहा कि यह गुकेश के "बेमिसाल टैलेंट, कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय का नतीजा है." - सीके/एसएम (एएफपी, एपी)