अंजाम हासिल किए बिना चैन नहीं लेगा मिस्र
१३ फ़रवरी २०११मुबारक के हटने के बाद रविवार को मिस्र में काम का पहला दिन है. और इसी दिन प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने कह दिया है कि अगर सैन्य शासन उनकी मांगें नहीं मानता है तो और प्रदर्शन किए जा सकते हैं.
सैन्य परिषद ने अब तक चुनावों के लिए या सत्ता के लोकतांत्रिक हस्तांतरण के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है लेकिन यह जरूर कहा है कि वह लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध है. रविवार शाम एक कैबिनेट बैठक होनी है जिसमें कई बड़े सवालों के जवाब मिल सकते हैं.
मुबारक को गद्दी छोड़े 24 घंटे से ज्यादा बीतने के बाद भी मिस्र की राजधानी काहिरा की सड़कें उल्लास में डूबे प्रदर्शनकारियों से भरी हुई हैं. वे लोग रविवार सुबह भी हाथों में झंडे उठाए इधर उधर घूमते नजर आए.
पटरी पर जिंदगी
रविवार वहां कामकाज का दिन है. दुकानें खुली हैं और काफी लोग काम पर लौट गए हैं. 18 दिन चले महाभारत के बाद वहां जिंदगी पटरी पर लौटने की तैयारी कर रही है.
लेकिन प्रदर्शनकारी अपने काम को अंजाम तक पहुंचाए बिना चैन से बैठने को तैयार नहीं हैं. एक प्रदर्शनकारी नेता सफवत हेगाजी कहते हैं, "अगर सेना हमारी मांगें नहीं मानती है तो हमारी क्रांति और ज्यादा ताकत के साथ लौट आएगी." लोग चाहते हैं कि देश में 30 साल जारी आपातकाल को फौरन खत्म किया जाए और संसद को भंग कर दिया जाए. अपनी इस मांग को मनवाने के लिए कुछ प्रदर्शनकारियों ने काउंसिल ऑफ ट्रस्टीज का गठन किया है जो क्रांति के बाद उसे बचाने का काम संभालेगी और सेना के साथ बातचीत करेगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उभ