अंधकार के बाद सूखे की चपेट में भारत
१ अगस्त २०१२कृषि मंत्री शरद पवार बुधवार से इन चारों राज्यों का दौरा कर रहे हैं. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि तीन दिनों के दौरे पर वे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेंगे और बारिश में कमी का विश्लेषण करेंगे. इसके अलावा फसलों, पानी और चारे की उपलब्धि के बारे में बातचीत होगी. पवार के साथ 10 से लेकर 12 सदस्यों की एक टीम जा रही है जिसमें कृषि सचिव और ग्रामीण विकास सचिव शामिल हैं.
पूरे भारत में इस साल औसतन 21 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. कर्नाटक के कई इलाकों में अब तक औसत की तुलना में 21 से लेकर 44 प्रतिशत कम बारिश हुई है. राज्यों के दक्षिणी हिस्सों पर इसका बुरा असर अभी से देखा जा सकता है. राजस्थान में अब तक 64 प्रतिशत कम बारिश हुई है जबकि गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ इलाकों में 78 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. सूखे जैसी स्थिति की वजह से दालों, मक्के, ज्वार और बाजरे की खेती पर बुरा असर पड़ा है. धान की खेती में 18 लाख हेक्टेयर जमीन पर फर्क पड़ा है लेकिन धान का मौसम अगस्त के अंत तक होता है, इसलिए फसल के बेहतर होने की उम्मीद अब भी बनी हुई है. सरकार ने भी एलान कर दिया है कि इस साल धान की खेती पिछले साल से कम होगी.
इस बीच कर्नाटक की सरकार ने किसानों के हालात में सुधार लाने के लिए 142 तालुकों में सूखे का एलान किया है और 3,500 करोड़ रुपयों का राहत पैकेज तैयार किया है. कृषि मंत्री शरद पवार ने भी कहा है कि अगर अगले दो महीनों में ठीक से बारिश नहीं हुई तो हालात गंभीर हो सकते हैं. भारत में खेती ज्यादातर मानसून पर निर्भर रही है और देश के केवल 40 प्रतिशत हिस्से में सिंचाई होती है. भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 15 प्रतिशत खेती से आता है. बुरे मानसून का असर देश के 84 जलाशयों पर भी पड़ा है जिसमें पिछले साल के मुकाबले 61 प्रतिशत कम पानी जमा किया जा सका है.
एमजी/एमजे(पीटीआई)