अकेलेपन से उभरी संगीत की प्रतिभा
१ जून २००९सत्रहवीं शताब्दी के दूसरे हिस्से में यूरोप के शास्त्रीय संगीत के जगत में बारोक शैली का बोलबाला था. जर्मनी में ख़ासकर योहान सेबास्तियान बाख़ ने काउंटरप्वाइंट के ज़रिए संगीत को गणित के उत्कर्ष तक पहुंचाया. इसके बाद अट्ठारहवीं शताब्दी में हमें मोत्सार्ट मिलते हैं, उसके बाद जर्मनी में संगीत की नई पराकाष्ठा बेथोफेन के साथ सामने आती है - एक शिखर, जिसे आज तक कोई छू नहीं पाया है. सवाल है कि वह कौन सी कड़ी है, जो इन दोनों धाराओं को ज़ोड़ती है? इस सवाल का एक स्पष्ट सीधा जवाब है - योज़ेफ़ हाइडेन.
संगीत के इतिहास में हाइडेन के संगीत से भी महत्वपूर्ण है उनके संगीत का क्रमशः विकास. उन्हें सिंफ़नी का जनक माना जाता है, चार तारयंत्रों की रचना या स्ट्रिंग क्वार्टेट का जनक माना जाता है - और साथ ही, पिआनो सोनाटा के विकास को उनके योगदान के बिना समझना मुश्किल हो जाता है. योहान सेबास्तियान बाख़ की मौत के 18 साल बाद हंगरी की सीमा के निकट ऑस्ट्रिया के रोराऊ में उनका जन्म हुआ. हाइडेन ने बाद में स्वीकार किया था कि उनके संगीत पर बाख के बेटे कार्ल फ़िलिप एमानुएल बाख़ का गहरा असर रहा है. काफ़ी समय तक हाइडेन दूसरे प्रसिद्ध संगीतकारों से दूर हंगरी के एस्टरहाज़ी सामंत परिवार के दरबार में संगीतज्ञ रहे. इस अवधि में उनकी पहली सिंफ़नियां और स्ट्रिंग क्वार्टेट आ चुके थे. हाइडेन के अपने शब्दों में - चूंकि मैं संगीत के अभिजात जगत से दूर जी रहा था, मुझे अपनी खुद की शैली विकसित करनी पड़ी.
योज़ेफ़ हाइडेन के पिता माथियास हाइडेन ग्राम पंचायत के प्रधान थे, माता मारिया काउंट हार्राख़ के महल में रसोई में काम करती थीं. क्लासिकीय संगीत से किसी का भी दूर तक का रिश्ता नहीं था. लेकिन उनके पिता की लोक संगीत में गहरी दिलचस्पी थी, वे खुद हार्प बजाते थे. पिता के प्रभाव से योज़ेफ़ हाइडेन अपने पड़ोसियों के साथ गाया करते थे. संगीत में बच्चे की प्रतिभा देखकर उनके माता-पिता ने उसे हाइनबुर्ग में एक रिश्तेदार के पास भेजा, जो शिक्षक होने के साथ-साथ संगीत निर्देशक भी थे. यहां उनका जीवन आसान नहीं था, लेकिन संगीत में उन्हें अच्छा प्रशिक्षण मिला, और वे हार्पसिकॉर्ड और वायलिन बजाना सीखे. वे हाइनबुर्ग के गिरजे के क्वायर में भी शामिल हुए. लोकसंगीत के क्षेत्र में बचपन की दिलचस्पी बनी रही, और ऑस्ट्रियाई लोक संगीत के साथ-साथ उन्होंने बनजारों के लोक संगीत व क्रोएशियाई संगीत पर आधारित रचनाएं तैयार कीं. उनके ऑपेरा भी समृद्ध एअर्स से सज्जित हैं. जर्मन राष्ट्र गीत का धुन भी उनके संगीत से लिया गया है.
हाइडेन 1791 में पहली बार लंदन गए, फिर वे 1794 से 95 के बीच वहां रहे. इस दौरान उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाएं सामने आईं. प्रसिद्ध लंदन सिंफ़नियां इसी दौर की रचनाएं हैं. इस दौरान उनके अनेक मित्र बने, प्रसिद्धि के साथ उनकी समृद्धि भी बढ़ी. अपनी यात्राओं के बीच वे बेथोफेन को संगीत की शिक्षा भी देते रहे. लेकिन बेथोफेन को उनकी शिक्षा पसंद नहीं आई, और वे दूसरों की तलाश करने लगे. दोनों संगीतकारों के बीच संबंध काफ़ी तनावपूर्ण थे.
चेंबर संगीत के क्षेत्र में हाइडेन का अमूल्य योगदान रहा है. 1795 में वे वियना लौट आए. अब वे काफ़ी समृद्ध थे, और अपने आनंद के लिए संगीत रचना करना चाहते थे. मिसाल के तौर पर अपनी रचना द क्रिएशन के लिए उन्होंने एक साल तक काम किया. उन्होंने एक बार कहा था कि उन्होंने इसकी रचना में इतना वक्त इसलिए लगाया, क्योंकि वे चाहते थे कि रचना की प्रक्रिया लंबी चले.
हाइडेन की रचनाओं की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है. 1809 में जब उनका देहांत हुआ, तो वे यूरोप के सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय संगीतकार थे.
लेखक - उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन - प्रिया एसलबॉर्न