अक्टूबर फ़ेस्ट
२३ सितम्बर २००९अक्टूबर फ़ेस्ट
मैं मतवाला पीने वाला भर-भर बीयर का प्याला,
हम जैसों के लिए चला अक्टूबर फ़ेस्ट बीयर वाला.
तम्बू तम्बू में मस्ती है हर इंसा यहां मतवाला,
हर तम्बू में बीयर ही है पर सबका है स्वाद निराला.
भरने वाला भरता जाता पीने वाले का प्याला,
कुछ ही क्षणों में फिर भी देखो रीता दिखता है प्याला.
पीना, पीकर फिर भरवाना फिर खली करना प्याला,
क्या मस्ती क्या मस्त समां है हर कोई है मतवाला.
सुधबुध खो देने तक पीता है बीयर पीने वाला,
होश नहीं फिर भी होठों को उसके चूम रहा प्याला.
हर पीने वाला कहता है पहले भर मेरा प्याला,
आंखों में बीयर की मस्ती होठों पर बीयर प्याला.
संगी साथी सभी पधारे मै हूं या बीयर वाला,
ये जादू सर चढ़कर बोला कर से न छूटे प्याला.
ये मौसम बीयर का मौसम मै पीकर हूँ मतवाला,
तू भी साथ निभा ओ साथी रख अधरों पर ये प्याला.
यह कविता लिख भेजी हैं हमारे नियमित श्रोता, प्रमोद माहेश्वरी ने , फतेहपुर-शेखावाटी से