अन्नान की जगह ले सकते हैं ब्राहिमी
१० अगस्त २०१२सीरिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन की मौजूदा अवधि 20 अगस्त को पूरी हो रही है. 78 साल के ब्राहिमी की आधिकारिक नियुक्ति का एलान अगले हफ्ते हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र के एक राजदूत ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर समाचार एएफपी से कहा, "हम निश्चिंत हैं कि यह ब्राहिमी ही हैं. वह यूएन महासचिव की पसंद हैं और उनके नाम का एलान अगले हफ्ते कर दिया जाएगा अगर वो खुद पीछे नहीं हटे तो."
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने कहा है कि वो हट रहे हैं क्योंकि उनकी कोशिशों को पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं मिला है. कोफी अन्नान इस महीने की 31 तारीख तक काम करेंगे. सीरिया में पिछले 17 महीने से जंग छिड़ी हुई है और विद्रोहियों का कहना है कि इस दौरान 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
ब्राहिमी 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए हमले के वक्त अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के दूत थे और इसके बाद 2003 में अमेरिका हमले के बाद इराक में. इससे पहले 1991 से 1993 तक वो अल्जीरिया के विदेश मंत्री रहे और 1980 के दशक में लेबनान के गृहयुद्ध को खत्म कराने में अरब लीग के दूत बन कर उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई.
कोफी अन्नान पिछले छह महीने से सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से छह सूत्रीय शांति योजना को अमल कराने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब इस मामले में अहम पक्ष नए दूत की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं. कोफी अन्नान और महासचिव बान की मून का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शक्तिशाली देशों के बीच सहमति न बन पाने की वजह से अन्नान की योजना कारगर न हो सकी. संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने बताया कि अब सुरक्षा परिषद को यह फैसला करना है कि वह अन्ना की योजना को आगे बढ़ाएगी या नहीं.
बुरी तरह से विभाजित सुरक्षा परिषद के देश भी सीरिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन की पर्यवेक्षक के तौर पर भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि सुरक्षा परिषद की अगले हफ्ते गुरुवार को होने वाली बैठक में इस पर अंतिम फैसला होगा. पहले वहां 300 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई थी लेकिन बाद में उन्हें कम कर 150 पर समेट दिया गया. इस बीच सीरिया में स्थिति लगातार बुरी हो रही है और वहां हिंसा तेज हो गई है. रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन प्रस्तावों को वीटो कर चुके हैं. इसमें असद के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की बात थी. इन देशों को डर है कि प्रतिबंध के बाद असद की हालत भी कहीं लीबिया के नेता मुअम्मर अल गद्दाफी के जैसी न हो जाए. बहरहाल आने वाले दिनों में शायद सुरक्षा परिषद को किसी सहमति पर पहुंचाने की कोशिशें तेज होंगी.
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स, डीपीए)