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अफगान तालिबान की भारत को छिपी चेतावनी

१७ जून २०१२

तालिबान ने सीधे भारत को संबोधित करते हुए एक बयान में कहा है कि अमेरिका की लाख कोशिशों के बाद भी भारत ने अफगानिस्तान के मसले से दूर रह कर समझदारी से फैसला लिया है.

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तस्वीर: dapd

विदेशी सेनाएं 2014 में अफगानिस्तान छोड़ देंगी. भारत और अमेरिका को डर है कि नाटो सेनाओं के देश छोड़ने के बाद तालिबान गुट एक बार फिर देश में सक्रिय हो जाएगा. इसी डर कारण अमेरिका चाहता है कि भारत अफगानिस्तान में रूचि दिखाए. लेकिन अब तक भारत की ओर से इस सिलसिले में कोई ठोस जवाब नहीं मिला है.

भारत को यह भी चिंता है कि नाटो सेनाओं के चले जाने के बाद अफगानिस्तान में पाक के भारत विरोधी आतंकवादी गुट अड्डा बना लेंगे. तालिबान ने यह भी कहा है कि वे इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि उनका देश किसी देश के खिलाफ अड्डा ना बन पाए.

Zehn französische Soldaten bei Kämpfen in Afghanistan getötet
अफगानिस्तान में नाटो सेनाएंतस्वीर: picture-alliance/ dpa

चेतावनी का नया अंदाज

अफगान तालिबान के पाकिस्तान से अच्छे संबंध रहे हैं. रॉयटर्स समाचार एजेंसी के मुताबिक तालिबान का भारत बारे में बयान तालिबान के स्वतंत्र होने का संकेत हो सकता है.

इस से पहले अमेरिका तालिबान के साथ सीधे बात करने की कोशिश भी कर चुका है. कतर में तालिबान के कार्यालय खोले जाने पर सहमति भी बनी.

इसी महीने अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा भारत और अफगानिस्तान दौरे पर गए. भारत में भी अफगानिस्तान का मुद्दा ही अहम रहा. हालांकि उन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान ना जाने का फैसला किया. पैनेटा ने भारत से अफगानिस्तान में और सक्रिय होने को कहा. तालिबान का दावा है कि पैनेटा अपने प्रयास में विफल रहे. तालिबान ने अपनी इंग्लिश वेबसाइट पर लिखा है, "उन्होंने भारत में तीन दिन बिताए और इस बोझ को भारत के कंधे पर डालने की पूरी कोशिश की ताकि वे अफगानिस्तान छोड़ के भाग सकें... हमें कुछ विश्वसनीय मीडिया सूत्रों ने बताया है कि भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने हिचकिचाहट दिखाई क्योंकि भारतीय यह बात जानते हैं या उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि अमेरिका बस अपना फायदा देख रहा है." तालिबान के प्रवक्ता जाबिहुल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "इस से पता चलता है कि भारत तथ्यों को समझता है."

Leon Panetta US-Verteidigungsminister in Indien eingetroffen
भारत में लियोन पैनेटातस्वीर: dapd

मुसीबत ना मोल ले भारत

भारत अफगानिस्तान को सबसे अधिक आर्थिक मदद देने वाले देशों में से है. देश में सड़कों और मूलभूत सुविधाओं के लिए भारत अब तक दो अरब डॉलर खर्च चुका है. लेकिन भारत सुरक्षा संबंधित योजनाओं से बच रहा है. अमेरिका चाहता है कि नाटो के चले जाने के बाद भारत अफगान सेना को तालिबान से लड़ने में मदद करे.

मुजाहिद ने कहा, "इस बार में कोई शक नहीं है कि भारत इस इलाके के लिए एक महत्वपूर्ण देश है. यह भी सच है कि उन्हें अफगानिस्तान के बारे में पूरी जानकारी है क्योंकि हमारा आपसी संबंधों का लम्बा इतिहास रहा है. वे अच्छी तरह जानते हैं कि अफगान लोगों को आजादी से कितना प्यार है. ऐसे में इस बात का कोई मतलब ही नहीं कि वे अपने देश को मुसीबत में डाल दें, वह भी सिर्फ अमेरिका के मजे के लिए."

भारत की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद का कहना है कि यह तालिबान की प्यार भरी धमकी है, "यह एक तरह से भारत को याद दिलाने का तरीका है कि अमेरिका के चले जाने के बाद भारत अफगानिस्तान के मामलों में दखल देने की कोशिश भी न करे."

आईबी/एएम (रॉयटर्स)

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