अफगान नीति में भारत को मिली अहमियत
२० नवम्बर २०१०अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "हमारी रणनीति एक क्षेत्रीय रणनीति है. हमने पाकिस्तान से लेकर भारत तक जैसे देशों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है ताकि वे अफगानिस्तान में सत्ता सौंपने की प्रक्रिया में मदद कर सकें." अमेरिका 2014 तक अफगान बलों को अफगानिस्तान की सुरक्षा सौंपना चाहता है.
कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत का दौरा किया है जहां भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी अफगानिस्तान के मुद्दे पर व्यापक बातचीत हुई. क्राउली ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में भारत के "स्वाभाविक राष्ट्रीय सुरक्षा हितों" से वाकिफ है. वह कहते हैं, "यह शायद पिछले 18 महीने का वह सबसे बड़ा बदलाव है जिसे हमने लागू किया है. इसका संबंध सिर्फ अफगानिस्तान से नहीं बल्कि समूचे क्षेत्र से है."
वैसे ओबामा सरकार अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर खासी चौकन्नी रही है. यह शायद पहला मौका है जब एक बड़े अधिकारी ने कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता सौंपने की प्रक्रिया में भारत को भी आमंत्रित किया गया है. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, "भारत ने अफगानिस्तान में बड़ा निवेश किया है और हम उसकी भूमिका को प्रोत्साहन देते रहेंगे. भारत अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और वहां सुरक्षा बेहतर बनाने में मदद कर रहा है."
अमेरिका अगले साल से अफगानिस्तान से वापसी शुरू कर देगा. अफगान बलों को धीरे धीरे देश की सुरक्षा जिम्मेदारी सौंपी जाएगी और 2014 तक विदेशी सेनाओं ने अफगानिस्तान से पूरी तरह हटने का इरादा जताया है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि अफगानिस्तान में अगर स्थिरता आएगी तो यह भारत और पाकिस्तान समेत क्षेत्र के दूसरे देशों के लिए भी फायदेमंद होगी.
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता से हटने के बाद से ही भारत वहां खासी मदद कर रहा है. बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत की तरफ से अफगानिस्तान में कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. हालांकि अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती मौजूदगी और अहमियत को पाकिस्तान तिरछी नजर से देखता है. पाकिस्तान कई बार अफगानिस्तान में भारत की "अति सक्रियता" पर आपत्ति जता चुका है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी