अफगानिस्तान को मदद देता रहेगा भारत
१ मई २०१२मंगलवार को अफगानिस्तान के विदेश मंत्री जालमाई रसूल नई दिल्ली पहुंचे. इस यात्रा के जरिए दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी के उस समझौते को अमल में लाने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है जो पिछले साल अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान किया था. इसके लिए भागीदारी परिषद बनाई गई है जिसकी अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और अफगानिस्तानी विदेश मंत्री जालमाई रसूल करेंगे.
इस मौके पर रसूल ने कृष्णा को शांति प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी. रसूल ने कहा, "सहयोगी साझेदारी न सिर्फ इन दोनों देशों के लिए जरूरी है बल्कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास के लिए भी अहम है." साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, "मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि यह क्षेत्र में बदलाव का वक्त है, अफगानिस्तान के लिए भारत की प्रतिबद्धता न तो अस्थाई है और न ही उसमें कोई परिवर्तन होने वाला है."
कृष्णा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अफगान सरकार के साथ साझेदारी जारी रखेगा ताकि इससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे और चरमपंथी ताकतों का निशाना न बन जाए. उन्होंने कहा, "हमारे लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्र की रक्षा कर सके. हमारी सुरक्षा भी अफगानिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा से जुड़ी हुई है." कृष्णा ने कहा कि परिषद की बैठक इस बात का संकेत है कि भारत एक शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध देश बनाने में अफगानिस्तान के लोगों की मदद करना चाहता है.
भागीदारी परिषद की यह पहली बैठक है. पिछले साल अक्टूबर में हुए रणनीतिक साझेदारी समझौते के तहत दोनों देश व्यापार, आर्थिक सहयोग में बढ़ोतरी, रक्षा और राजनैतिक मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग करेंगे. भारत और अफगानिस्तान के इस सहयोग को अक्सर पाकिस्तान के खिलाफ एकजुटता के तौर पर देखा जाता है क्योंकि अफगानिस्तान पाकिस्तान पर तालिबानी विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई का आरोप लगाता है. भारत भी पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होने दे रहा है. भारत अफगानिस्तान में अपनी हिस्सेदारी लगातार बढ़ा रहा है. उसकी कई कंपनियां अफगानिस्तान में अहम परियोजनाओं पर काम कर रही हैं. आईबी/एएम (पीटीआई)