अफगानिस्तान को मिला पहला 24 घंटे का न्यूज़ चैनल
७ जुलाई २०१०पहली नजर में न्यूज चैनल का ऑफिस काबुल की सड़कों से थोड़ी दूर किसी फौजी कैंप की तरह दिखता है. बम हमले से तबाह हुए बाहरी दीवारों से सटकर हाथों में एक47 लिए दर्जनों गार्ड पहरे पर हैं. सामने सीढ़ियां हैं ऊपर चढ़िए तो फ्लैटस्क्रीन और पर्दे से सजी दीवारें किसी टीवी चैनल के होने के अहसास करा देती हैं. यहीं से अफगानिस्तान के पहले 24 घंटे के न्यूज़ चैनल ने प्रसारण शुरू किया है.
साद मोहसानी को उम्मीद है कि बहुत जल्द उनके चैनल को 10 लाख से ज्यादा दर्शक मिल जाएंगे. ये वो लोग है जो अफगानिस्तान का भविष्य तय करते हैं. इनमें आम जनता, राजनेता, विदेशी अधिकारी, फौजी और आतंकवादी भी शामिल हैं. टीवी चैनल की जरूरत बताते हुए मोहसानी कहते हैं 'अफगानिस्तान में क्या हो रहा है ये जानना सबके लिए जरूरी है.शहर में कहीं बम धमाका हुआ है तो लोगों को पता होना चाहिए कि कौन सी सड़क सुरक्षाबलों ने धमाके की वजह से बंद कर दी गई है क्योंकि उसी रास्ते से उनके बच्चे स्कूल जाने वाले हैं'
बैंक की नौकरी छोड़कर पांच साल पहले मोहसानी ने एक एफएम चैनल से प्रसारण की दुनिया में कदम रखा. जल्दी ही फारसी भाषा में कार्यक्रम बनाने के लिए उनका रूपर्ट मर्डोक के न्यूज़ कार्प से एक करार हो गया. अब वो अफगानिस्तान के मीडिया मुगल के रूप में जाने जाते हैं. हालांकि भारतीय टीवी सीरियलों जैसे कार्यक्रमों में बिना पर्दे की महिलाओं, अमेरिकन आइडल जैसा अफगान स्टार नाम से रियलिटी शो और कुछ सरकारी अधिकारियों के घोटालों और घपलों की खबर दिखाने के बाद उनके आलोचक भी कम नहीं हैं.
मोहसानी के न्यूज चैनल ने ऐसे वक्त में काम शुरू किया है जब अमेरिका और नैटो सेना के नए कमांडर जनरल डेविड पैट्रियस ने कमान संभाली है और साथ ही जंग के तेज होने की बात कही है. इसके साथ ही राष्ट्रपति करज़ई पर विकास और स्थायित्व की ओर बढ़ने का अमेरिकी दबाव है जिससे कि देश में समर्थन जुटा रहे दूसरे स्थानीय कबीलों को टक्कर दी जा सके.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः एस गौड़