अफगानिस्तान से लौटने की तैयारी
२८ नवम्बर २०१२जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की कैबिनेट ने सैनिकों की संख्या घटाने पर सहमति दे दी है. संख्या घटाने का काम जनवरी से शुरू किया जाएगा और 13 महीने के अंदर इसे पूरा किया जाएगा.
फरवरी 2014 तक अफगानिस्तान में तैनात जर्मन सैनिकों की संख्या कम करके 3,300 तक रखी जाएगी. अभी अफगानिस्तान में जर्मनी के अधिकतम 4,900 सैनिक तैनात रह सकते हैं जबकि इनकी वास्तविक संख्या 4,600 है.
2014 के अंत तक अफगानिस्तान से करीब करीब सभी जर्मन सैनिक बुला लिए जाएंगे क्योंकि नाटो की अंतरराष्ट्रीय सहयोग सेना का अभियान तब तक खत्म हो जाएगा. अमेरिका और ब्रिटेन के बाद जर्मनी के ही सबसे ज्यादा सैनिक अफगानिस्तान में हैं. जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने बुधवार को कहा, "अफगानिस्तान में सैन्य अभियान खत्म होता दिखता है."
अन्य मुद्दे
अफगानिस्तान में बेहतरी पर सरकार की रिपोर्ट भी बुधवार को जारी हुई, जो संसद के वार्षिक समीक्षा का हिस्सा है. इसमें अफगानिस्तान में जर्मन सैनिकों की उपस्थिति और उनकी तैनाती की अवधि बढ़ाने का मुद्दा भी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे बड़ी चिंता अफगानिस्तान में लंबे समय तक स्थिरता बहाल रखना है. इसे तभी पाया जा सकता है अगर अफगानिस्तान में विपक्षी धड़ों के बीच सहमति हो सके यानी तालिबान लड़ाके और सरकार में.
वेस्टरवेले ने कहा कि आगे का रास्ता मुश्किल है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थिरता के अलावा मानवाधिकार, भ्रष्टाचार और सरकारी नेतृत्व में बेहतरी भी अहम मुद्दे हैं.
2014 के बाद
आखिरी सैनिकों के हटने के बाद भी जर्मनी और दूसरे नाटो सैनिक अफगानिस्तान में मदद के लिए रहेंगे. प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है कि जर्मनी प्रशिक्षण और सहयोग के अभियान से जुड़े रहेंगे जो कि युद्ध से जुड़ा हुआ नहीं है.
बुधवार को जर्मनी के नॉये ओस्नाब्रुकर अखबार में एक इंटरव्यू में जर्मन सेना संघ के उलरिष किर्श ने कहा कि यह सोचना सच से परे है कि 2014 के बाद वहां लड़ने वाले सैनिकों की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ सहयोगी भूमिका में रहना और अफगान सैनिकों को आतंकियों से लड़ने देना सफल नहीं हो पाएगा.
किर्श की संघ में दो लाख दस हजार सैनिक हैं जिनमें अनिवार्य सैनिक, रिजर्व सैनिक, काम कर रहे और पूर्व सैनिक और महिलाएं और उनके परिवार शामिल हैं.
एएम (एएफपी, डीपीए)