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अफ़ग़ानिस्तान में बड़ा ड्रग जखीरा नष्ट

Shiv Prasad Joshi२३ मई २००९

अफ़ग़ानिस्तान में सेना ने पुलिस ने 60 चरमपंथियों को मार गिराया है और देश में नशीले पदार्थों की अब तक की सबसे बड़ी खेप ज़ब्त कर उसे नष्ट कर दिया है. हेल्मुंद सूबे में चार दिन से ऑप्रेशन चलाया जा रहा था.

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अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की बड़े पैमाने पर खेती होती है.तस्वीर: picture-alliance/ dpa

सेना ने हवाई हमले में 92 टन ड्रग और हेरोईन की प्रोसेसिंग करने वाले रसायनों को नष्ट कर दिया. लश्कर गाह के पास सेना ने बड़े पैमाने पर बम बनाने वाली सामग्री भी नष्ट कर दी. अमेरिकी और अफ़ग़ान सेना के साझा बयान में बताया गया कि मुहिम में 60 चरमपंथी ढेर किए गए.

इसी बयान में ये भी बताया गया कि अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास में पहली बार नशीले पदार्थों की इतनी विशाल खेप ज़ब्त की गयी.

बयान के मुताबिक इलाके में चरमपंथियों के ठिकानों को चुन चुन कर निशाना बनाया गया.

अफ़ग़ानिस्तान में सबसे ज़्यादा अफ़ीम हेल्मंद सूबे में ही उगायी जाती है. दुनिया की नब्बे फी़सदी सप्लाई नशेक के बाज़ार में यहीं से होती है. अफ़ीम से हेरोइन बनाकर उसे यूरोप एशिया और मध्य पूर्व के काले बाज़ार में खपा दिया जाता है.

हेल्मंद सूबा तालिबानी चरमपंथियो का सबसे प्रमुख गढ़ भी है. सूबे के मारजा इलाके को तालिबानी गतिविधियों और नशे के कारोबार का केंद्र माना जाता है जहां अमेरिका और अफ़ग़ानी टुकडिय़ों ने हमला बोला.

कार्रवाई में 92 हज़ार 271 किलोग्राम यानी 92 टन से कुछ ज़्यादा नारकोटिक्स नष्ट किया गया. इसमें 75 हज़ार किलोग्राम अफ़ीम के बीज, क़रीब 17 हज़ार किलोग्राम अफ़ीम का रसायन, मॉर्फीन, हेरोईन और हशीश शामिल थी.

सेना को हेरोईन बनाने वाली सामग्री भी अभूतपूर्व मात्रा में मिली.

बम बनाने वाली सामग्री मे 27 टन अमोनियम नाइट्रेट, विस्फोटक और मोर्टार जैसे हथियार मिले.

अमेरिकी सेना के प्रवक्ता करनल ग्रेग जुलियन इस कार्रवाई से संतुष्ट नज़र आए. उनका कहना है कि दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में चरमपंथियों और अपराधी गिरोहों के एक बड़े नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया गया है.

जानकारों के मुताबिक अफ़ीम से तालिबानी मोटी कमाई करते हैं. और ये भी माना जाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चोरी छिपे हो रहे करोड़ो अरबों के ड्रग व्यापार पर प्रभावी तरीक़े से अंकुश लगाया जा सके तो तालिबानी चरमपंथी भी आर्थिक रूप से कमज़ोर पड़ेंगें.

रिपोर्ट- एएफपी/ एस जोशी

संपादन- आभा मोंढे