अफ्रीका में बढ़ता इस्लामी कट्टरपंथ
६ जुलाई २०१२अफ्रीकी देशों में इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से फैल रहा है. पिछले कुछ समय में पश्चिम से ले कर पूर्व अफ्रीका तक हिंसा और अपहरण के मामलों में तेजी आई है. अलग अलग आतंकवादी संगठनों का अल कायदा से जुड़ना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. हालांकि इन आतंकवादी गुटों की मांगें मुख्य रूप से स्थानीय समस्याओं को ले कर हैं, लेकिन पश्चिमी देशों से बैर इन्हें किसी न किसी तरह अल कायदा जैसे बड़े आतंकवादी संगठन का सहारा लेने के लिए प्रेरित करता है. खास तौर से तीन आतंकवादी गुटों के अल कायदा से जुड़ने की बात सामने आई है. ये गुट हैं, नाइजीरिया में बोको हराम, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में सोमालिया अल शबाब और साहेल इलाके में अल कायदा इस्लामी मघरेब.
अमेरिकी सेना की अफ्रीकी कमांड के प्रमुख जनरल कार्टर हैम ने सितंबर 2011 में इस बात की चेतावनी दी थी कि ये सभी गुट मिलकर काम करना चाहते हैं और ट्रेनिंग में भी एक दूसरे की मदद करने की योजना बना रहे हैं, "अगर इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक ऐसा नेटवर्क बनने का खतरा है जिसके तार पश्चिम अफ्रीका से शुरू हो कर मध्य तक और पूर्व में साहेल और मघरेब तक फैले होंगे. मेरे ख्याल में ऐसा होना तो बहुत बड़ी चिंता का विषय है." अमेरिका के साथ साथ फ्रांस ने भी इस बात की चिंता जताई है कि अफ्रीकी रेगिस्तान आतंकवादियों का मुख्य अड्डा बन जाएगा.
इस साल जनवरी में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कई गुटों के बीच संपर्क की बात कही. रिपोर्ट में बताया गया कि बोको हराम और इस्लामी मघरेब मिल कर काम कर रहे हैं. इनके अलावा पूर्वी अफ्रीका में मुजाओ और माली में अनसर दिने के बीच भी संपर्क स्थापित हुए हैं. अमेरिका ने बोको हराम के तीन नेताओं को ग्लोबल आतंकवादी करार दिया है. अफ्रीका में पिछले कुछ सालें में कई कट्टरपंथ गुट सक्रिय हो गए हैं.
अल कायदा इस्लामी मघरेब (एक्यूआईएम)
इस गुट की शुरुआत 2006 में हुई. उस समय अल्जीरियाई इस्लामिक लड़ाकों के संगठन इस्लामिस्ट सलाफिस्ट ग्रुप फॉर प्रीचिंग एंड कॉम्बैट ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराने की योजना बनाई थी. उसी के जवाब में यह गुट बना. बाद में यह ड्रग माफिया से जुड़ गया और पश्चिमी देशों के नागरिकों का अपहरण करने लगे. 2010 में अमेरिकी सेना की अफ्रीकी कमांड के उपप्रमुख एंथनी होम्स ने कहा था कि एक्यूआईएम के कुल तीन सौ से ज्यादा सदस्य नहीं हैं, लेकिन इनके तार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अल कायदा से जुड़े हुए हैं.
अनसर दिने
अनसर दिने यानी धर्म के रखवाले. माली में सक्रिय यह गुट देश में शरिया कानून लागू करना चाहता है. कभी अनजान सा रहा यह संगठन तुआरेग विद्रोहियों की शाखा के तौर पर उभरा. तुआरेग विद्रोहियों ने मार्च में उत्तरी माली पर कब्जे की अगुआई की. गुट के सरगना अग घाली ने माली के पूर्वी हिस्से पर नियंत्रण करने के बाद कहा, "मैं आजादी के नहीं, अपने लोगों के लिए शरिया के हक में
यूनिटी मूवमेंट फॉर जिहाद इन वेस्ट अफ्रीका (मूजाओ)
यह गुट एक्यूआईएम के खिलाफ बनाया गया ताकि अफ्रीका में लोगों को जिहाद का सही मतलब समझाया जा सके. लेकिन जानकारों का कहना है कि गुट की कथनी और करनी में फर्क है. मूजाओ अल्जीरिया के कई राजदूतों को अगवा कर चुका है. मार्च से जून के बीच हिंसक हमलों में इस गुट ने करीब 35 लोगों की जान ली.
बोको हराम
बोको यानी पश्चिमी शिक्षा. यह गुट 2002 से नाइजीरिया में सक्रिय है. 2009 में इसे सेना के हाथों मुंह की खानी पड़ी, लेकिन अगले ही साल यह एक बार फिर सक्रिय हो गया. तब से यह कई चर्चों को अपना निशाना बना चुका है. 2011 की शुरुआत से अब तक बोको हराम नाईजीरिया में कम से कम एक हजार लोगों की जान ले चुका है.
अल शबाब
2008 में सोमालिया के इस गुट को अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन का नाम दिया. हालांकि इसी साल इसने अल कायदा से हाथ मिलाए. अमेरिका ने पिछले महीने अल शबाब के सात आतंकवादियों को अपनी मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में डाला. फरवरी में आई एक रिपोर्ट के अनुसार पांच से आठ हजार लोग इस गुट का हिस्सा हैं. इनमें से कम से कम दो हजार को पूरा प्रशिक्षण भी दिया गया है.
आईबी/ओएसजे(एएफपी)