अफ्रीकी खनिज पर चीनी कब्जा
८ फ़रवरी २०१४कंसलटेंसी कंपनी ग्रांट थोर्स्टन के लॉरेन पटलांस्की का कहना है, "चीन अफ्रीका में बहुत ज्यादा निवेश कर रहा है." वह दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में खनन निवेश के मुद्दे पर बोल रहे थे. चीन की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है. पूरी दुनिया की जीडीपी का 11 फीसदी. अफ्रीका से चारगुना ज्यादा.
करीब पांच साल पहले 2008 के आर्थिक मंदी के वक्त जब ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों और अमेरिका को निवेश से हाथ खींचना पड़ा, तो चीन ने इसमें अपनी ताकत झोंक दी. साल भर में यह सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार बन गया. अब वह 166 अरब डॉलर का कारोबार करता है. हालांकि आर्थिक साझीदारी और विकास संगठन के मुताबिक यूरोपीय संघ भी करीब 150 अरब डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर है. पटलांस्की का कहना है कि एक जमाना था, जब अफ्रीका में ढांचागत कमी थी और विश्व के बड़े देश वहां नहीं पहुंचना चाहते थे. लेकिन चीन ने उसी वक्त से पैर जमाना शुरू कर दिया. अंतरराष्ट्रीय सलाहकार कंपनी बीजिंग एक्सिस के कोबुस फान डेअ वाथ के मुताबिक, "आज चीन सबसे बड़ा देश है, जो संसाधनों के मामले में सबसे आगे है."
चीन पर निर्भर अफ्रीका
अब स्थिति ऐसी आ गई है कि अफ्रीका का भविष्य बहुत कुछ चीन पर निर्भर है. फान डेअ वाथ कहते हैं, "चीन को कोई दूर दराज की जगह न समझें. आपको सिर्फ अपने पूर्व में देखने की जरूरत है. यह ऐसी कहानी है, जो बदलने वाली नहीं है." पिछले एक दशक में चीन ने 75 अरब डॉलर अफ्रीका में निवेश किया है. इस महाद्वीप पर उसने 21 खनन कंपनियां खोली हैं. अफ्रीका से चीन के निर्यात का 80 फीसदी खनिज है. हालांकि चीन फिलहाल सिर्फ दक्षिण अफ्रीका, कांगो, सिएरा लियोन, जाम्बिया, नामीबिया, लाइबेरिया और इरीट्रिया जैसे देशों पर खनिज के मामले में ध्यान दे रहा है, जानकारों का कहना है कि वह जल्द ही दूसरे अफ्रीकी देशों में भी पकड़ बनाएगा.
मौजूदा वक्त में करीब 2000 चीनी कंपनियां 50 अफ्रीकी देशों में 1700 से ज्यादा प्रोजेक्ट चला रही हैं. इनमें वित्त के अलावा उड्डयन, खेती, पर्यटन, ऊर्जा, निर्माण और उत्पादन क्षेत्र शामिल हैं. चीन ने बहुत से ऐसे निवेश किए हैं, जो राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम हैं. इसने इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में एक विशालकाय मीनार बनाई है, जबकि मलावी के संसद और नामीबिया के स्टेट हाउस को भी तैयार किया है. फान डेअ वाथ का कहना है, "हम उम्मीद करते हैं कि चीनी निवेश और बढ़ेगा." उनके मुताबिक चीन दूसरे निवेशकों को हाशिए पर धकेल सकता है.
चीन के अलावा दूसरे एशियाई देश भी अफ्रीका में जड़ें जमा रहे हैं. मिसाल के तौर पर मलेशिया. इसने पिछले 10 साल में 19 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि भारत ने 14 अरब डॉलर का. आने वाले वक्त में भारत चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश करेगा. वह अपना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा कर 60 अरब डॉलर करना चाहता है.
एजेए/एमजे (डीपीए)