अब फुटबॉल का भी रियलिटी शो
७ सितम्बर २०१०रियलिटी शो का चलन भारत में भले ही कुछ सालों पहले ही आया हो, पर पश्चिमी देशों में एक दशक से भी अधिक समय से टीवी पर ऐसे शो दिखाए जाते हैं. दर्शकों के लिए नाचना-गाना तो अब पुराना हो गया है. इसलिए दर्शकों को लुभाने के लिए कभी सितारों को एक घर में कैद किया गया तो कभी जंगल में. लेकिन जब इस से भी बात नहीं बनी तो लगाए और भी नए नए पैंतरे. इन्हीं में सबसे नया है ऑस्ट्रियाज न्यू फुटबॉलस्टार शो. दूसरे रियलिटी शो की तरह यहां भी आम लोग अपना हुनर दिखाएंगे और फिर दर्शकों की पसंद के अनुसार आगे बढ़ेंगे या शो से बाहर हो जाएंगे. ऑस्ट्रिया में यह शो इसी सप्ताह शुरू हो रहा है.
ऑनलाइन हिस्सेदारी
शो में हिस्सा लेने के लिए इसकी वेबसाइट पर फॉर्म भरे गए. कुल 900 लोगों ने यह फॉर्म भरे जिसमे से 300 को ऑडिशन के लिए बुलाया गया. हालांकि जर्मनी में यह शो अभी इतना लोकप्रिय नहीं है, फिर भी वेबसाइट पर करीब 250 फॉर्म जर्मनी से भी भरे गए. ऑडिशन के बाद कुल 11 खिलाड़ी चुने गए हैं जिसमें से अंत में केवल एक को ऑस्ट्रिया की फुटबॉल लीग एसवी का कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा .
कोशिश है कि इस कॉन्ट्रैक्ट को पाने वाला केवल खेलना ही न जानता हो बल्कि अमेरिकन या इंडियन आयडल की तरह 'कम्प्लीट पैकेज' होना चाहिए. इसीलिए प्रतियोगियों को रैड कारपेट पर चलने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी और मीडिया से बातचीत करने का सलीका भी सिखाया जाएगा. जज के रूप में दिखेंगे ऑस्ट्रिया की फुटबॉल टीम के कोच रह चुके फ्रैंकी शिन्कल्स और साल्सबर्ग फुटबॉल क्लब के डायरेक्टर हैर्बर्ट हूबल.
शो ने दिया मौका
ऑस्ट्रियाज न्यू फुटबॉलस्टार की तयारी पिछले साल ही शुरू हो गई थी, जिसके चलते एक पायलट फिल्म भी बनाई गई थी. इसी पायलट फिल्म ने 22 वर्षीय कैविन थौन्होफर की ज़िन्दगी बदली. कैविन 18 साल की उम्र से जर्मनी की फुटबॉल लीग बुंडसलीगा के दूसरे स्तर पर फुटबॉल खेला करता था, लेकिन क्लब के दिवालिया होने के बाद उसे कहीं खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा था. इस फिल्म के बाद उसकी प्रतिभा को पहचाना गया और कैविन को एक बार फिर बुंडसलीगा में तीसरे स्तर पर खेलने का मौका मिला.
कैविन की तरह और लड़के भी अब इस शो में आ कर अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. आने वाले सालों में इसे जर्मनी में भी शुरू करने का इरादा है. टीवी चैनलों के बीच तो अभी से होड़ लगी है. अब अगर भारत में भी नच बलिए की जगह कभी खेल बलिए शुरू हो जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं.
रिपोर्टः ईशा भाटिया
संपादनः ए कुमार