अब भारतीय बैंकों का भी होगा स्ट्रेस टेस्ट
२८ जुलाई २०१०जल्दी ही भारतीय बैंकों को भी स्ट्रेस टेस्ट से गुजरना होगा. इस टेस्ट के जरिए यह देखा जाता है कि क्या आर्थिक संकट के दौर में भी बैंक अपना कामकाज पहले की तरह करते रह पाएंगे या नहीं.
सेंट्रल बैंक ने मंगलवार को एलान किया कि उसने दुनिया भर में छाई मंदी के दौर में अपनी सीमाओं और जोखिम का जायजा ले लिया है. अब रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि वह देश की बैंकों के स्ट्रेस टेस्ट के लिए जल्दी ही एक बेहतर फॉर्मूला तैयार करेगा. यह टेस्ट साल में दो बार होगा. इसका मकसद देश के बैंकिंग सेक्टर में लोगों का भरोसा बनाए रखना है. रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि भारत में बैकों के लिए सख्त स्ट्रेस टेस्ट की जरूरत है. इसमें बैकों की बैलेंस शीट की जांच होनी चाहिए कि वे कितना आर्थिक दबाव झेल सकते हैं.
दो दिन पहले ही यूरोप के बैंकों के स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों का एलान किया गया. लंदन की यूरोपियन बैंकिंग सुपरवाइजर्स कमेटी ने नतीजों का एलान करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ के 91 में से 7 बैंक स्ट्रेस टेस्ट में फेल हो गए. अमेरिका में पिछले साल बैंकों का स्ट्रेस टेस्ट हुआ था. टेस्ट के बाद अमेरिका के 19 बड़े बैंकों में से 10 की हालत खराब थी और उनके लिए 75 अरब डॉलर की अतिरिक्त रकम का बंदोबस्त करना पड़ा.
भारत के ज्यादातर सरकारी बैंकों ने आर्थिक संकट के दौर में भी बढ़िया प्रदर्शन किया. वह भी तब, जब बाजार में लिक्विडिटी की भारी कमी थी. भारत में केवल आईसीआईसीआई को ही मंदी के दौर में लिक्विडिटी की समस्या से निबटने के लिए रिजर्व बैंक की बाहरी सहायता लेनी पड़ी. आईसीआईसीआई भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है. सरकार को कुछ छोटे सरकारी बैंकों की मदद के लिए विश्व बैंक से मदद जरूर लेनी पड़ी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः ए कुमार