अमन के आड़े आती बस्तियां
११ मार्च २०१०कहते हैं घर बनाने से शांति मिलती है. लेकिन यरुशलम में जिन घरों को बनाने की बात चल रही है, उससे शांति मिलती नहीं, ख़त्म होती है. इस्राएल एक बार फिर सोलह सौ नए घरों की बस्ती तैयार करने की बात कर रहा है और बातचीत के लिए तैयार होता फ़लीस्तीन एक बार फिर बिफ़र उठा है.
यह सब हुआ है अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन के दौरे के बीच, जो यहां दोनों पक्षों की बातचीत शुरू कराने के लिए पहुंचे. अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन दोनों देशों के प्रतिनिधियों से मिल कर बातचीत की मनुहार ही कर रहे थे कि इस्राएल की तरफ़ से बस्तियां बनाने की बात आ गई और बातचीत एक बार फिर टल गई दिखती है. बाइडन ने कहा, "इस ऐतिहासिक संघर्ष को ख़त्म करने के लिए दोनों पक्षों को ऐतिहासिक क़दम उठाने होंगे क्योंकि अगर हर कोई ज़िद ठान कर दूसरे का इंतज़ार करता रहेगा तो यह इंतज़ार कभी ख़त्म नहीं होगा."
इस्राएल ने 1967 में पश्चिमी तट और पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया था. अंतरराष्ट्रीय नियमों से इन जगहों पर घर बनाना ग़ैरक़ानूनी है. लेकिन इस्राएल का कहना है कि यरुशलम उसकी राजधानी है, एक बड़ा शहर है और यहां हज़ारों नए घर बन सकते हैं. ताज़ा एलान के बाद इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतानयाहू ने सफ़ाई देने की कोशिश की है कि जिन 1,600 नए घरों की बात चल रही है, वे फ़ौरन नहीं बनाए जाएंगे और इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है.
अमेरिका इस्राएल की ऐसी घोषणाओं का विरोध तो करता है लेकिन अंत में नरम पड़ जाता है. बाइडन भी नरम ही रहे और इस्राएल को सबसे बड़ा दोस्त बताया. उन्होंने कहा, "मेरी और राष्ट्रपति की शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए. वह भी जानते हैं और मैं भी कि दुनिया में इस्राएल से बढ़ कर अमेरिका का कोई दोस्त नहीं."
राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अपना फ़ैसला अरब लीग के महासचिव अम्र मूसा से कह दिया है कि फ़लीस्तीन तब तक इस्राएल से बात नहीं कर सकता, जब तक बस्तियां बसाने पर रोक न लगे. अमेरिका पिछले दस साल से मध्य पूर्व में शांति की कोशिश कर रहा है. पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने आख़िरी दिनों में इसे पहली प्राथमिकता दे दी थी. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुरुआती दिनों में इसे पहली प्राथमिकता दी और विशेष दूत जॉर्ज मिचेल को नियुक्त किया. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ए कुमार