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अमेरिका को वेनेजुएला की सख्त चेतावनी

२७ जुलाई २०१०

वेनेजुएला की सीमा पर सैन्य तनाव की स्थिति पैदा हुई. वेनेजुएला सरकार ने कोलंबिया और अमेरिका की सैन्य दखलंदाजी की कोशिश करने के आरोप लगाए. राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज ने सेना से सीमा पर तैयार रहने को कहा.

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लड़ाई के लिए तैयार चावेजतस्वीर: AP

कोलंबिया के साथ कूटनीतिक रिश्ते तोड़ने के एलान के हफ्ते भर बाद वेनेजुएला ने सीमा पर अपनी सेना को आगाह किया है. वेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज ने अमेरिका और कोलंबिया की सेनाओं पर घुसपैठ की कोशिश करने के आरोप लगाए हैं. चेतावनी भरे लफ्जों में चावेज ने कहा कि अगर कोलंबिया ने अमेरिकी सहायता से किसी तरह की सैन्य कार्रवाई की कोशिश की तो, ''100 साल की जंग'' होगी.

अमेरिका के नेशनल गार्ड के 1,000 जवान इस वक्त वेनेजुएला और कोलंबिया की सीमा पर तैनात हैं. सैनिकों की तैनाती दो दिन पहले ही हुई है. कोलंबिया और वेनेजुएला के बीच 2200 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें कई चौकियां हैं. नेशनल गार्ड्स इन्हीं चौकियों पर तैनात किए गए हैं.

नेशनल गार्ड के कमांडर फ्रैंकलिन मारक्वएज ने इसे एक सामान्य प्रकिया बताया है. उन्होंने कहा, ''हमने सीमा की हिफाजत के लिए 980 से लेकर 1000 सैनिक तैनात किए हैं. लेकिन यह कोई असामान्य बात नहीं है. हम सतर्क हैं.''

अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चावेज अमेरिका विरोधी तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं. आरोपों के मुताबिक वेनेजुएला ने अमेरिका और कोलंबिया विरोधी 1,500 चरमपंथियों को शरण दी है. चावेज कहते हैं कि अमेरिका चरमपंथियों को शरण देने के आरोपों के बहाने उनके देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. उनका कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका को दी जाने वाले तेल सप्लाई रोक दी जाएगी. इस बीच अमेरिका ने कहा है कि वह वामपंथी देश वेनेजुएला के साथ कोई लड़ाई छेड़ने नहीं जा रहा है. चावेज के बयानों के बाद अमेरिका ने यह प्रतिक्रिया दी.

वेनेजुएला में इस साल चुनाव होने हैं. कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि देश में छाए महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए चावेज लड़ाई के माहौल को उबाल रहे हैं. देश में महंगाई की दर 30 फीसदी से ज्यादा है. कोलंबिया के साथ सभी तरह के रिश्ते तोड़ने के बाद वेनेजुएला में 20 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं.

वैसे वेनेजुएला और अमेरिका के बीच तनाव का रिश्ता बहुत पुराना है. वेनेजुएला और क्यूबा शीत युद्ध के समय भी तत्कालीन सोवियत संघ के करीबी थे. सोवियत संघ के टूटने के बाद भी इन दोनों देशों में अमेरिका विरोधी वामपंथी ताकतें ही सत्ता पर रहीं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: वी कुमार