अमेरिका ने एपीजे कलाम से लिखित माफी मांगी
१३ नवम्बर २०११कलाम की तलाशी का यह वाकया भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तनाव का कारण बन सकता था. भारत ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह अस्वीकार्य है और अगर इस तरह की घटनाएं नहीं रोकी गईं तो अमेरिकी अधिकारियों को भी तलाशी से गुजरना पड़ सकता है.
यह वाकया रविवार सुबह ही रोशनी में आया जबकि घटना 29 सितंबर की है. भारतीय टीवी चैनलों ने खबर दी कि 29 सितंबर को न्यूयॉर्क लौटते वक्त पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तलाशी ली गई. अमेरिकी अधिकारी 80 वर्षीय कलाम की जैकेट और जूते भी तलाशी के लिए ले गए. पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कलाम विमान में बैठ चुके थे. उसके बाद जेएफके एयरपोर्ट के अधिकारी आए और बोले कि वे पूर्व राष्ट्रपति की दोबारा तलाशी लेना चाहते हैं. एयर इंडिया के अधिकारियों ने इसका सख्त विरोध किया. लेकिन एयरपोर्ट अधिकारी फिर भी कलाम की जैकेट और जूते ले गए. हालांकि कलाम ने किसी तरह का विरोध नहीं किया.
अमेरिकी अधिकारियों ने फौरन जवाबी कदम उठाया. नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया अमेरिकी सरकार कलाम का पूरा पूरा सम्मान करती है. बयान में कहा गया, "हम इस घटना पर गहरा खेद जताते हैं, जिसकी वजह से उन्हें न्यूयॉर्क के जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट पर असुविधा का सामना करना पड़ा."
दूतावास में फिलहाल कामकाज देख रहे पीटर बरलीग ने अमेरिका के ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन का माफीनामा निजी तौर पर पूर्व राष्ट्रपति कलाम और भारत सरकार को सौंपा. इस माफीनामे में लिखा गया, "सम्मानित व्यक्तियों के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के हिसाब से काम नहीं हुआ. हम भविष्य में ऐसी घटनाओं रोकने के लिए सक्रियता से काम कर रहे हैं."
कलाम के साथ यह पहला वाकया नहीं है. 2009 के अप्रैल महीने में अमेरिका की कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस के कर्मचारियों ने नई दिल्ली हवाई अड्डे पर उनकी तलाशी ली थी. उस मुद्दे पर भारत में खासा हंगामा हुआ था और संसद में भी उसे उठाया गया. तब भी एयरलाइंस और अमेरिकी सरकार ने कलाम से माफी मांगी थी.
2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे कलाम देश में बेहद लोकप्रिय हैं. परमाणु वैज्ञानिक कलाम को मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने भारत को अपने स्तर पर बैलिस्टिक मिसाइल और अंतरिक्ष यान बनाने की क्षमता दी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें एक विद्वान और वैज्ञानिक की हैसियत से सम्मान दिया जाता है.
रिपोर्टः डीपीए/वी कुमार
संपादनः एन रंजन