अमेरिका ने बनाए नए ड्रोन, वजन बस दो किलो
१८ अक्टूबर २०११नया ड्रोन जल्द अमेरिकी हथियारों में शामिल हो जाएगा. इस ड्रोन को स्विचब्लेड कहा जा रहा है जो एक रोबोटिक एयरक्राफ्ट है. यह अमेरिका की तरफ से संदिग्ध उग्रवादियों से निपटने की नई कोशिशों का नतीजा है.
इस नए ड्रोन का वजन दो किलो से भी कम है और यह इतना छोटा है कि सैनिकों की कमर पर लदे पिट्ठू में भी आ सकता है. नए ड्रोन को तैयार करने वाली कंपनी एयरोविरोनमेंट के मुताबिक इसे एक ट्यूब से छोड़ा जाता है. जल्द ही इसके पंख खुल जाते हैं और यह फिर आसमान की उंचाइयों से बात करने लगता है.
सटीकता से दुश्मन का 'सफाया'
पिछले महीने कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि बिजली की एक छोटी सी मोटर से चलने वाला स्विचब्लेड अपने सिर पर लगे कैमरे से बराबर रीयल टाइम वीडियो भी भेजता रहता है ताकि सैनिक दुश्मन की पहचान कर सके. कंपनी का कहना है कि लाइव वीडियो फीड से दुश्मन की पुष्टि किए जाने के बाद उसे चलाने वाला व्यक्ति हवा में कमांड भेजता है और इस तरह दुश्मन पर निशाना साध लिया जाता है. फिर स्विचब्लेड अपने विस्फोटक से निशाने को भेद देता है.
कैलिफोर्निया की कंपनी एयरोविरोनमेंट का कहना है कि उसके बनाए ड्रोन को ऐन वक्त पर वापस भी लिया जा सकता है, भले ही 'किल' मिशन की कमांड दे दी गई हो. इससे सैनिकों को उस स्तर का काफी नियंत्रण मिलता है जो अब तक के हथियारों में नहीं है.
अभी अमेरिका पाकिस्तान और दूसरे इलाकों में संदिग्ध उग्रवादियों को निशाना बनाने के लिए बड़े प्रीडेटर और रीपर ड्रोन (पायलट रहित विमानों) का इस्तेमाल करता है. इन विमानों से भारी बम गिराए जाते हैं जिसके कारण कई बार आम लोगों भी इनकी चपेट में आ जाते हैं. इस वजह से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच काफी तनाव रहता है. अफगानिस्तान में तालिबान से जूझ रही अमेरिका और गठबंधन सेनाओं के कई अभियानों में भी आम लोगों निशाना बनते रहे हैं.
आम लोग नहीं बनेंगे निशाना
स्विचब्लेड के जरिए आम लोगों की मौत को रोका जा सकता है. कंपनी के मुताबिक, "तेज रफ्तार के साथ चुपचाप उड़ते हुए स्विचब्लेड बहुत ही सटीकता से अपने विस्फोटक को निश्चित निशाने पर छोड़ता है जिससे बाकी नुकसान कम होता है."
अमेरिकी सेना ने जून में जल्द से जल्द नए तरह के ड्रोन विमान तैयार करने के लिए एयरोविरोनमेंट को 49 लाख डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया. अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि सेना ने कितने स्विचब्लेड विमानों का ऑर्डर दिया है और कब अमेरिकी सेना इनका इस्तेमाल करना शुरू करेगी.
वहीं मानवाधिकार समूहों का कहना है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के ड्रोन हमलों के जरिए विदेशों में हत्याओं की गोपनीय मुहिम चलाई जा रही है जो न तो किसी सार्वजनिक जांच के दायरे में आती है और नहीं अमेरिकी सांसद इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
रिपोर्टः एएफपी/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह