अमेरिका ने रूस पर की बदले की कार्रवाई
१ सितम्बर २०१७48 घंटों की भीतर रूस को सैन फ्रांसिस्को के अपने कॉन्सुलेट के अलावा न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन के रूसी कार्यालय भी बंद करने होंगे. एक बार फिर शीत युद्ध के दुश्मन आमने सामने आ गये हैं. डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन इसे रूसी कार्रवाई का जवाब बता रहा है.
कुछ ही हफ्ते पहले रूस ने मांग की थी कि अमेरिका रूस में मौजूद अपने दूतावास कर्मचारियों की संख्या को घटाये. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉअर्ट ने कहा, "अमेरिका आगे भी जरूरत पड़ने पर ऐसे कदम उठाने के लिए तैयार है." इसके साथ ही उन्होंने कहा, अमेरिका की उम्मीद रहेगी कि दोनों देश "संबंधों को सुधारने" और "सहयोग बढ़ाने" की ओर बढ़ेंगे.
अमेरिकी घोषणा के कुछ ही घंटे बाद वॉशिंगटन हवाई अड्डे पर पहुंचे नये रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को इस खबर से झटका लगा. रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार, एंटोनोव ने इसकी प्रतिक्रिया में कहा, "हमें उन्मादी आवेग दिखाने की जरूरत नहीं है."
अमेरिका की इस कार्रवाई को रूस के खिलाफ सन 1986 के बाद से उठाया गया सबसे नाटकीय कदम माना जा सकता है. तब शीतयुद्ध के खात्मे की ओर बढ़ते समय दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों ने एक दूसरे के दर्जनों राजनयिकों को निकाल दिया था.
एक बार फिर दोनों देशों के बीच उस स्तर के मतभेद पैदा हो गये हैं. पहले यूक्रेन और सीरिया युद्ध को लेकर फिर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी दखलंदाजी के आरोपों को लेकर उससे भी ज्यादा दबाव झेल रहे अमेरिका-रूस संबंध गंभीर दौर से गुजर रहे हैं. अमेरिकी चुनाव में रूसी हाथ होने के मामले की जांच अभी भी जारी है.
पिछले साल चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप में अमेरिका ने इसी सैन फ्रांसिस्को केंद्र से कई रूसी अधिकारियों को हटा कर वापस रूस भेज दिया था. वैसे तो 48 घंटे में रूस को अमेरिका में स्थित अपने तीनों केंद्र बंद करने के आदेश मिले हैं, लेकिन रूसी स्टाफ को देश छोड़ने को नहीं कहा गया है.
दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुई कार्रवाई का रूसी राष्ट्रपति ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया था. फिर डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने के वादे के साथ पद संभाला. लेकिन अगस्त में रूस पर लगाये प्रतिबंधों के कारण यह प्रतिक्रिया आयी है.
रूस ने अपने यहां मौजूद अमेरिकी डिप्लोमैट्स की संख्या को 455 पर सीमित कर दिया है. इसके लिए 755 अमेरिकियों को रूस छोड़ना पड़ा है. इस कारण अब रूस से अमेरिका का वीजा लेने वालों को राजधानी मॉस्को ही जाना पड़ रहा है. इस बदले की कार्रवाई के बाद दोनों ही देशों के एक दूसरे के यहां तीन वाणिज्य केंद्र और बहुत कम संख्या में डिप्लोमैटिक स्टाफ ही बचे हैं.
आरपी/एनआर (एपी)