अमेरिका में भारतीय मूल की महिला को देश निकाला
२६ मई २०१२अमेरिका ने कहा है कि काइरी आभा शेफर्ड के मामले में उसने जो कदम लिए हैं वे उचित हैं और अमेरिका के अप्रवासी कानूनों को ध्यान में रखते हुए ही लिए गए हैं. भारत ने अमेरिका से इस मामले को 'संवेदनशीलता और सहानुभूति' के साथ हल करने की अपील की थी. लेकिन भारत की अपील को नजरअंदाज करते हुए अमेरिका ने अपना कड़ा रुख अपनाया.
'क्रिमिनल एलियन'
काइली आभा केवल तीन महीने की थीं जब अमेरिका के उटाह राज्य की एक महिला ने उन्हें कोलकाता से गोद लिया. उसके बाद वह उसे अपने साथ ले गई. काइली की परवरिश अमेरिका में ही हुई. जीवन के तीस बरस अमेरिका में बिता लेने के बाद अब उन्हें भारत लौट जाने को कहा जा रहा है.
2004 में काइली पर धोखा धड़ी का मुकदमा चला. उस समय उसे कैद की सजा सुनाई गई. जब काइली की सजा पूरी हो गई तो प्रशासन ने उस पर और कार्रवाई शुरू कर दी. उसके बाद उसे 'क्रिमिनल एलियन' करार दिया गया और देश छोड़ने के लिए कहा गया.
भारतीय दूतावास के प्रवक्ता वीरेंद्र पॉल ने अमेरिका को पत्र लिख कर कहा कि काइली के मामले को मानवाधिकार के आयाम पर परखने की जरूरत है. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में पॉल ने कहा, "इस मामले पर हमारे पास जितनी जानकारी है उस से यही पता चलता है उन्हें बचपन में ही अमेरिका ले जाया गया और उनके पास उसके आलावा और कोई घर नहीं है."
'मौत की सजा'
अमेरिका के इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि अक्टूबर 2007 में अधिकारियों ने शेफर्ड की जांच की और पाया कि उनके आपराधिक रिकॉर्ड के अनुसार उन्हें देश से निकाला जा सकता है. प्रवक्ता के अनुसार इमिग्रेशन जज ने फरवरी 2010 में शेफर्ड को देश से निकाले जाने के आदेश दिए. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील भी की लेकिन उसे खारिज कर दिया गया.
शेफर्ड का कहना है कि देश से निकाले जाने की सजा उनके लिए मौत की सजा के बराबर है. काइरी आभा 1982 से अमेरिका में रह रही हैं. भले ही उन्होंने अपना पूरा जीवन अमेरिका में बिताया हो, लेकिन उनके पास वहां रहने का हक नहीं है. दरअसल काइरी की उम्र आठ साल थी जब उन्हें गोद लेने वाली महिला की कैंसर के कारण मौत हो गई. उसके बाद वह जिन अभिभावकों के पास रहीं उन्होंने अमेरिकी नागरिकता के लिए कार्रवाई ही नहीं कराई.
भारत की मदद
अब अमेरिका उन्हें तभी निकाल सकता है जब यह सुनिश्चित हो जाए कि भारत उनके यात्रा संबंधी दस्तावेज देने के लिए तैयार है. काइरी ने अपने बयान में कहा है कि अब उनका अमेरिका या भारत में रहना भारत के विदेश मंत्रालय पर निर्भर करता है. भारत के प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा, "मैं उन नेक दिल की शुक्रगुजार हूं, जो मेरे लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं, खास तौर से विदेश मंत्रालय में काम करने वाले लोगों की जिनके ट्रैवल डॉक्यूमेंट जारी न करने से मैं अमेरिका में रह सकूंगी. उनकी इस कोशिश से मेरी जान बच सकती है."
आईबी, ओजेएस (पीटीआई)