अमेरिका से कैसे हों रिश्ते, तय करेगा लोया जिरगा
२६ अक्टूबर २०११एक अफगान अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि लोया जिरगा में सिविल सोसायटी के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता भी आएंगे. उन्होंने कहा, "अफगान संविधान के मुताबिक पारंपरिक लोया जिरगा में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा और फैसले किए जाएंगे."
अफगानिस्तान इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ चर्चा कर रहा है कि जब 2014 में विदेशी सैनिकों की वापसी हो जाएगी तो दोनों पक्षों के बीच किस तरह का सहयोग रहेगा. राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक इस बारे में होने वाली संधि में सहायता राशि, सैन्य सहयोग और उन गतिविधियों पर चर्चा होगी जो अफगानिस्तान में अमेरिका चला सकेगा.
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता गेविन संडवॉल कहते हैं, "दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि हमारे सुरक्षा संबंध और साझा विकास कार्य किस तरह के होंगे." फरवरी में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में स्थायी ठिकाने बनाना चाहता है ताकि क्षेत्र में अल कायदा और तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाया जा सके. बाद में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह एक दीर्घकालीन सैन्य उपस्थिति होगी जो 25 साल तक चल सकती है.
संधि का विरोध
सोमवार को काबुल में राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने ऐसी किसी संधि के खिलाफ विरोध किया जिससे अमेरिका को अफगानिस्तान में सैन्य ठिकाने बनाने की अनुमति मिले. संडवॉल का कहना है कि अमेरिका "अफगानिस्तान में स्थायी सैन्य ठिकाने स्थापित करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता."
लोया जिरगा में तालिबान के साथ संभावित शांति वार्ता पर भी चर्चा होगी. हालांकि शांति की राह बहुत मुश्किल दिखती है. सरकार की तरफ से बनाई गई शांति परिषद के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी पिछले महीने तालिबान के हमले में मारे गए. तालिबान का कहना है कि जब तक अफगानिस्तान से विदेशी सैनिक चले नहीं जाते, वह किसी शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा. इस वक्त अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों के एक लाख तीस हजार सैनिक तैनात हैं.
रिपोर्टः डीपीए/ए कुमार
संपादनः आभा एम