अमेरिकी आरोपों पर तमतमाया ईरान
१२ अक्टूबर २०११आरोपों से तमतमाई ईरान की सरकार ने कहा है कि अमेरिका पड़ोसी अरब देशों के साथ उसके संबंधों को तोड़ना चाहता है. ईरानी अधिकारियों ने मंगलवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई और अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से लगाए आरोपों को, "सोच समझ कर तैयार की गई पटकथा" और "बेवकूफ शरारत" कहा है. ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के प्रेस सलाहकार अली अकबर जवानफेक्र ने मंगलवार शाम समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "अमेरिका में लोगों की घरेलू समस्या से ध्यान भटकाने के लिए सोच समझ कर यह पटकथा तैयार की गई है. अमेरिकी सरकार और सीआईए को अमेरिकी लोगों का ध्यान उनकी समस्याओं की तरफ से भटकाने का खूब अनुभव है."
भर्त्सना
यूएन में ईरान के राजदूत मोहम्मद खजाई ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और सुरक्षा परिषद को एक पत्र लिख कर इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. मोहम्मद खजाई ने इसे, "शर्मनाक आरोप" और "सोची समझी दुष्ट साजिश" कहा है. खजाई ने इस्राएल पर अमेरिकी सहयोग से ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या करवाने का भी आरोप लगाया है. तेहरान यूनिवर्सिटी में पार्टिकल फिजिक्स के एक प्रोफेसर की जनवरी 2010 में उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई. एक और वैज्ञानिक की तेहरान में इसी साल 29 नवंबर को हत्या कर दी गई जबकि उसी दिन परमाणु उर्जा के प्रमुख फेरेदून अब्बासी दवानी पर एक हमला हुआ जिसमें वो बाल बाल बचे.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, "दो ईरानी नागरिक ईरान से प्रायोजित, निर्देशित और रची उस साजिश का हिस्सा हैं जिसमें सउदी अरब के राजदूत आदिल अल जुबैर को एक बम हमले में मारने की योजना थी." इनमें से एक ईरानी नागरिक के पास अमेरिकी नागरिकता है. इनमें से एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. अमेरिकी अटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने कहा इस साजिश के लिए, "संयुक्त राष्ट्र ईरान को उसकी इस कार्रवाई का जिम्मेदार ठहराने के लिए प्रतिबद्ध है.
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिकी आरोपों को "गलत" और "यह बेतुकी पटकथा है जो लोगों को बांटने के लिए, इस्लाम और इस इलाके के दुश्मनों ने तैयार की है." ईरानी संसद के स्पीकर अली लरिजानी ने इन आरोपों को "बचकाना खेल" और "मूर्ख शरारत" कहा जो ईरान को उसके अरब पड़ोसियों से अलग थलग करने के लिए की गई है.
दशकों की दुश्मनी
अमेरिका और ईरान के बीच पिछले तीन दशकों से दुश्मनी चली आ रही है. 30 साल पहले ईरानी क्रांति के बाद इस्लामी छात्रों ने तेहरान के दूतावास में अमेरिकी राजदूतों को बंधक बना लिया था. अमेरिका ने पहले से ही ईरान पर इकतरफा प्रतिबंध लगा रखे हैं. जिनमें से बड़े प्रतिबंधों को संयुक्त राष्ट्र से भी मंजूरी मिली हुई है जिससे कि ईरान के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को रोका जा सके. अमेरिका को डर है कि ईरान इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों को बनाने में करना चाहता है जिससे ईरान साफ तौर पर इनकार करता है. मध्यपूर्व में इस्राएल के बाद अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी देश सउदी अरब है. सउदी अरब के ईरान के साथ रिश्ते ठंढे हैं. दोनों ओपेक के सदस्य हैं लेकिन सउदी अरब को ऐसा लगता है कि ईरान क्षेत्रीय महाशक्ति बनने की कोशिश कर रहा है.
ईरान ने इस साल सुन्नी शासन वाले सउदी अरब की इस बात के लिए आलोचना की थी कि उसने बहरीन में सेना भेज करक लोकतंत्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने में मदद की. बहरीन का शासनतंत्र सुन्नियों के हाथ में है जबकि प्रदर्शन करने वाले लोग देश में बहुसंख्यक शिया समुदाय के हैं. सउदी अरब ने इस महीने के शुरूआत में अपने पूर्वी प्रांतों में शिया प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के साथ हुई झड़पों के लिए ईरान पर आरोप लगाया था. ईरान में बहुसंख्यक जनता शिया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम