अमेरिकी फ़ौज हटने के बाद इराक़ में जश्न
३० जून २००९पिछले दिनों राष्ट्रपति ओबामा ने अपने इराक दौरे में कहा था कि अमेरिकी फौज शहरों से हटेगी लेकिन मदद के लिए इराक में अगले साल तक बनी रहेगी. शहरों से अमेरिकी फौज के हटने और इराकी सुरक्षा बलों के कमान संभालने का ये मौका भावुकता,गर्व, आशंका और उम्मीद की मिली जुली भावनाओं वाला है. इराकी सरकार ने तीस जून को बाकायदा राष्ट्रीय संप्रभुता दिवस के रूप में मनाने का एलान करते हुए इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है.
जश्न के बीच गीत संगीत से भरे कार्यक्रमों का इंतजा़म भी किया गया है. लोग सड़कों पर निकल आए और गाजे बाजे के साथ उत्सवी माहौल में अपनी फौज और अपनी पुलिस का इस्तक़बाल किया. छुट्टी के माहौल में ख़ुशी मनाते ऐसे ही एक शख़्स अहमद अली ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि ''2003 के बाद से मैं कभी किसी दावत में नहीं गया था. अब जाकर ये दिन नसीब हुआ है कि मैं अपने प्रिय गायकों को सुन पाऊंगा.'' 2003 ही वो साल था जब अमेरिकी फौज ने इराक पर हमला किया था. समारोहों के लिए विदेशों में बसे मशहूर इराक़ी गायकों को बुलाया गया है. जिनमें सलाह हसन, कसम सुल्तान, और आबिद फलक जैसे नामचीन गायक शामिल हैं.
लेकिन इराकी पुलिस और सेना के लिए कोई छुट्टी नहीं थी. सरकार ने सुरक्षा बलों की छुट्टियां फ़िलहाल रद्द कर दी हैं और तमाम जवान शहरों की सुरक्षा में तैनात कर दिए गए हैं. सरकार के मुताबिक संप्रभुता हासिल करने के इस बड़े दिन के लिए बहुत लोगों ने ख़ून बहाया है और अपनी ज़िंदगिंयो को ख़तरे में डाला है. लिहाज़ा इसकी रक्षा के लिए आगे भी पूरी तरह से मुस्तैद और सतर्क रहने की ज़रूरत है. अमेरिकी फौज ने इराकी सुरक्षा बलों को व्यवस्था की कमान सौंपने के प्रतीक के रूप में पूर्व रक्षा मंत्रालय की वो इमारत इराकी सरकार को लौटा दी जिस पर 2003 में क़ब्ज़ा किया गया था.
अगले साल जनवरी में इराक में आम चुनाव कराए जाएंगे. तब तक अमेरिकी फौज वहां बनी रहेगी. कुल एक लाख 31 हज़ार अमेरिकी सैनिक इराक़ में तैनात हैं. और चुनाव तक ज़्यादातर सैनिक इराक में ही रहेंगे. जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है, 2011 के अंत तक पूरी अमेरिकी फौज देश लौट जाएगी. इराकी सरकार भले ही इसे संप्रभुता की जीत के रूप में देखती हो लेकिन जानकारों की राय में एक सच्चाई ये भी है कि इराक में इधर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और इराकी सुरक्षा बलों के सामर्थ्य का इम्तहान भी अभी होना बाकी है.
रिपोर्ट - एजेंसियां/एस जोशी
संपादन - एस गौड़