लोया जिरगा राजी
२४ नवम्बर २०१३काबुल में करीब ढाई हजार कबीलाई नेताओँ के लोया जिरगा में अहम सहमति चार दिन की बातचीत के बाद बन सकी है लेकिन करजई का कहना है कि अमेरिका को पहले अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लानी होगी. करजई ने जिरगा में आए नेताओँ से कहा, "अगर यहां शांति नहीं हुई तो यह समझौता अफगानिस्तान के लिए दुर्भाग्यशाली होगा. शांति हमारी पूर्वशर्त है. अमेरिका हमें शांति दे और तब हम इस पर दस्तखत करेंगे." करजई ने यह भी कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में सैन्य तलाशियों को बंद करे और अगले साल के चुनाव में सहयोग दे.
इससे पहले करजई ने कहा था कि वह समझौते पर दस्तखत अप्रैल 2014 में होने वाले चुनाव के बाद करेंगे. हालांकि रविवार को उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया. अमेरिका उन पर दबाव बनाए हुए है कि वह साल के आखिर तक समझौते पर दस्तखत कर दें. अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच यह सुरक्षा समझौता अगले साल नाटो का युद्धक अभियान खत्म होने के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भूमिका तय करेगा.
लोया जिरगा की सिफारिशें
लोया जिरगा ने राष्ट्रपति हामिद करजई के पास 31 बिंदुओँ वाली सिफारिश भेज दी है. इन सिफारिशों में समझौते के प्रस्ताव में मामूली बदलाव भी शामिल है. हालांकि उससे समझौते की राह में कोई बाधा आने की आशंका नहीं है. लोया जिरगा सचिवालय के उप प्रमुख फजल करीम आयमाक ने इन सिफारिशों को पढ़ते हुए कहा कि समझौता राष्ट्रीय हित में है. लोया जिरगा के नेताओं ने आग्रह किया है कि अमेरिका उन 19 कैदियों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान के हवाले कर दे जिन्हें ग्वांतानामो की जेल में रखा गया है.
समझौते में जिन मुद्दों पर विवाद हो रहा है उनमें एक है अमेरिकी सैनिकों को अफगान कानून से छुटकारा भी है भले ही उनसे अफगानिस्तान में कोई अपराध हुआ हो. लोया जिरगा का कहना है कि अमेरिकी सैनिकों पर भी जितना मुमकिन हो सके अफगानिस्तान में ही मुकदमा चलना चाहिए और वह भी अफगान अभियोजकों और पीड़ित परिवारों के सदस्यों की मौजूदगी में. अमेरिकी सैनिकों का अफगानिस्तान के घरों की तलाशी लेना विवाद का एक और मुद्दा है. जिरगा चाहता है कि रात में पड़ने वाले छापे तुरंत रोके जाएं. करजई ने जिरगा से कहा, "इसी वक्त से हमारे घरों पर अमेरिका के छापे और हमारी सड़कों पर उनके नाके खत्म. अगर हमारे घरों पर अमेरिका के छापे पड़ते रहे तो हम समझौता तोड़ देंगे."
करजई के बदले रुख
लोया जिरगा ने कहा है कि अमेरिका सेना अफगानिस्तान में अपने जेलखाने नहीं चला सकती और साथ ही यह भी कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों पर अमेरिकी हमले के लिए ना किया जाए. करजई ने कहा है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेंगे और जिरगा की मंजूरी ने बता दिया है कि उन्हें अमेरिकी समझौते पर भरोसा है.
लोया जिरगा की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं. जिरगा के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति सेबगतुल्लाह मोजादीदी ने कहा कि करार अफगान लोगों के लिए फायदेमंद है और करजई को तुरंत इस पर दस्तखत कर देना चाहिए. उन्होंने तो यहां तक कहा, "अगर राष्ट्रपति तुरंत इस पर दस्तखत नहीं कर देते तो मैं इस्तीफा दे दूंगा और विदेश में कहीं शरण ले लूंगा."
अफगान राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल वहीद वाफा का कहना है कि लोया जिरगा के नेताओं का भरोसा करजई को राजनीतिक आवरण देता है. विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि करजई का विवाद करना और समझौते पर दस्तखत के बारे में अलग तरह की बातें करना अमेरिका के साथ करार को बेहतर बनाने की कोशिश है. वाफा ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "करजई पिछले कुछ महीनों से जो कर रहे हैं उसे हम फारसी में हर्बा ए डिप्लोमाटी यानी हाथ में कूटनीतिक हथियार कहते हैं. मेरा ख्याल है कि वह अमेरिका के साथ करार करने में इसका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. अब उन्हें अहसास हुआ है कि समझौते पर दस्तखत करने के साथ ही वो यह हथियार खो देंगे लेकिन अभी तो कई मुद्दे बाकी हैं. इनमें कुछ उनके निजी फायदे के हैं तो कुछ देश के फायदे के जिस पर बातचीत जरूरी है."
अफगानिस्तान पर नजर रखने वाले मान रहे हैं कि हामिद करजई अफगानिस्तान के साथ ही अपने और अपने परिवार के लिए अमेरिका से और पैसा चाहते हैं. पर इसके साथ और मुद्दे भी हैं. करजई यह भी चाहते हैं कि अमेरिका पाकिस्तान पर तालिबान के साथ शांति वार्ता तुरंत शुरू करने के लिए दबाव बनाए.
एनआर/आईबी (डीपीए, एएफपी)