अरब जगत के लिए नई अमेरिकी आर्थिक नीति
१९ मई २०११ओबामा इस दौरान मध्य पूर्व के साथ अमेरिकी रिश्तों पर भी चर्चा कर सकते हैं, जहां इस्राएल और फलीस्तीन के बीच फिर से संघर्ष शुरू हो गया है. लेकिन उनका ज्यादा ध्यान उन देशों पर होगा, जहां लगातार क्रांतियां हो रही हैं. कुछ देशों का आरोप है कि अमेरिका उन पर पूरा ध्यान नहीं दे रहा है.
समझा जाता है कि अमेरिका मिस्र और ट्यूनीशिया में सत्ता परिवर्तन में तेजी लाने के लिए नए पैकेज का वादा कर सकते हैं, जबकि यमन और बहरीन जैसे देशों से लोगों की मांग पूरी करने की बात कर सकता है. ओबामा सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ कड़ा रुख भी अपना सकते हैं.
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि ओसामा बिन लादेन के सफाए के बाद अमेरिका के पास मौका है कि वह अरब जगत पर ज्यादा ध्यान दे सके. उन्होंने कहा, "इराक युद्ध के घाव भरने और ओसामा बिन लादेन को खोज निकालने के बाद हम उस इलाके के लिए बेहतर अमेरिकी नीति की शुरुआत कर सकते हैं."
अमेरिकी राष्ट्रपति पर आरोप लगते हैं कि वह बदलाव के बाद धीमे पड़ जाते हैं. शायह इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फौरन अरब नीति का एलान करने का फैसला किया है. हालांकि अभी तय नहीं है कि उनकी नीति क्या रहेगी और वह लोगों को पसंद आएगी या नहीं. अमेरिका पाकिस्तान को हर साल अरबों डॉलर की मदद देता है और ओसामा बिन लादेन के वहां पाए जाने के बाद इस पर खासा सवाल पैदा हुआ है.
काहिरा के बाद कुछ नहीं
समझा जाता है कि अपने भाषण में राष्ट्रपति ओबामा इस्राएल और फलीस्तीन को बातचीत की मेज पर लौटने के लिए कह सकते हैं. पिछले साल इस्राएल ने पश्चिमी तट पर नई बस्तियां बनाने का एलान किया, जिसके बाद दोनों पक्षों में बातचीत टूट गई है. अमेरिका मध्य पूर्व शांति को अपनी पहली प्राथमिकता बताता है लेकिन वह इसमें आगे बढ़ने में अब तक नाकाम ही रहा है.
दो साल पहले राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ओबामा ने काहिरा में दिए अपने भाषण में मुस्लिम जगत के साथ नई शुरुआत की बात कही थी लेकिन इसके बाद कुछ हुआ नहीं.
इस बीच अमेरिका ने बुधवार में सीरिया के राष्ट्रपति असद के खिलाफ पहली पाबंदी का एलान किया. वहां लगातार सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं.
अमेरिका ने लीबिया के खिलाफ जिस तरह के कदम उठाए हैं, उससे अमेरिका के अंदर ओबामा प्रशासन का विरोध हो रहा है. उन पर यमन और बहरीन के खिलाफ सख्त न होने के भी आरोप हैं. ओबामा के वरिष्ठ सलाहकारों का कहना है कि अमेरिका मिस्र को आने वाले सालों में एक अरब डॉलर की सहायता दे सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ए कुमार