आंग सान सू की निकलीं पहली यात्रा पर
१४ अगस्त २०११म्यांमार में पिछले साल नवंबर में चुनाव हुए. इसके बाद सू की को रिहा किया गया. लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से यात्रा न करने की चेतावनी दी गई. इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए सू की ने बागो इलाके की यात्रा की. यंगून से करीब 80 किलोमीटर दूर इस इलाके में लोग सड़कों पर खड़े होकर उनका इंतजार कर रहे थे. और जब सू की कस्बों, शहरों में से गुजरीं तो पुलिस को लोगों को रास्ते से हटाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी. हाथों में बैनर और पोस्टर पकड़े लोग खुशी से चिल्ला रहे थे. कई बैनरों पर लिखा था, "हम मां सू की से प्यार करते हैं."
खूब समर्थन मिला
66 साल की सू की ने एक दिन की इस यात्रा की शुरुआत बागो शहर के एक धार्मिक स्थल से की. उसके बाद था नाट पिन में उन्होंने एक लाइब्रेरी का उद्घाटन किया और 600 लोगों की छोटी सी भीड़ को भाषण दिया. उन्होंने कहा, "हम इस देश का विकास तभी कर सकते हैं जब हम सब मिलकर काम करें. एकता ही ताकत है. हर ओर एकता की जरूरत है और खासतौर हमारे देश में तो इसकी सख्त जरूरत है."
सू की ने कहा कि राजनीति में आने के 20 साल के दौरान उन्होंने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की और आगे भी जो बन पड़ेगा, करती रहेंगी.
सू की की इस यात्रा में 30 कारों का काफिला चल रहा था. उनके साथ उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के नेता, पत्रकार और राजनयिक शामिल थे. नोबल शांति पुरस्कार जीत चुकीं सू की ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि वह सिर्फ लोगों के समर्थन पर निर्भर करती हैं. और बागो की सड़कों पर यह साफ देखा जा सकता था कि उनका आधार कमजोर नहीं है. 23 साल की एक छात्रा विन विन मिंट ने कहा, "मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हूं. हम सब बहुत खुश हैं. मैंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था."
आजादी ताक पर
सू की की यात्रा के लिए सबसे बड़ी फिक्र सुरक्षा की है क्योंकि 2003 में एक राजनीतिक यात्रा के दौरान उनके काफिले पर हमला हो चुका है. कहा जाता है कि यह हमला उनकी लोकप्रियता से डरे सैन्य शासन ने ही करवाया था. इसीलिए सू की के साथी खासे चौकन्ने हैं. उनकी पार्टी एनएलडी के प्रवक्ता नेयान विन कहते हैं, "हमारी पार्टी के लोग उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे. अधिकारी भी हमें मदद करेंगे."
जून में भी सू की ने राजनीतिक यात्रा पर जाने की इच्छा जाहिर की थी. लेकिन सेना के समर्थन वाली सरकार ने चेतावनी दी थी कि उनकी यात्रा अव्यवस्था और दंगे फैला सकती है.
सू की ने इससे पहले म्यांमार के मध्य में स्थित एक प्राचीन मंदिर की यात्रा कर सरकार को आजमाया था. हालांकि वह राजनीतिक यात्रा नहीं थी. लेकिन रविवार की यात्रा को उनकी पार्टी ने पूरी तरह राजनीतिक बताया है.
लोकतंत्र के लड़ाके के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकीं सू की ने अपनी जिंदगी के पिछले दो दशकों का ज्यादातर हिस्सा कैद में बिताया है. इसलिए कुछ जानकार कहते हैं कि अगर सू की सरकार के लिए किसी तरह का खतरा बनती हैं तो उनकी आजादी दोबारा छिन सकती है.
सरकार से बातचीत
पिछले कुछ महीनों में सू की और सरकार के रिश्तों में तनाव नजर नहीं आया है. शुक्रवार को ही सू की श्रम मंत्री आंग की से दूसरे दौर की बातचीत के लिए मिलीं. इस बातचीत के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि दोनों पक्ष देश में लोकतांत्रिक विकास और स्थिरता के लिए मिलजुल कर काम करेंगे. सत्ता में आने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में सरकारी नुमाइदों ने बातचीत जारी रखने की बात भी कही. यह बातचीत जुलाई में शुरू हुई थी.
म्यांमार पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं. ये पश्चिमी देश वहां लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सुधार की मांग करते हैं. पिछले साल वहां चुनाव हुए लेकिन उन्हें अच्छी नजर से नहीं देखा गया. चुनावों में सेना के समर्थन वाली पार्टी की ही जीत हुई. एनएलडी ने 1990 में चुनाव जीता था लेकिन उसे कभी सत्ता नहीं मिली. पिछले साल के चुनावों का उसने बहिष्कार किया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन