आइसलैंड: छोटा सा द्वीप, बड़ा प्रभाव
अपनी किताब "हाउ आइसलैंड चेंज्ड द वर्ल्ड" में लेखक एगिल बार्नसन ने आइसलैंड और उसके लोगों के बारे में कुछ अद्भुत जानकारी दी है. जरा बताइए आप इनमें से कितनी बातें जानते थे?
कोलंबस से भी 500 साल पहले
माना जाता है कि आइसलैंड के खोजी यात्री लाइफ एरिक्सन ने इतालवी खोजी यात्री क्रिस्टोफर कोलंबस से भी कम से कम 500 साल पहले उत्तरी अमेरिका की खोज की थी. इस लिहाज से उत्तरी अमेरिका पहुंचने वाले पहले यूरोपीय व्यक्ति कोलंबस नहीं बल्कि एरिक्सन थे.
सबसे पुरानी संसद
आइसलैंड की राष्ट्रीय संसद 'आलथिंग' को दुनिया की सबसे पुरानी संसद माना जाता है. इसकी स्थापना सन 930 में थिंग्वेलीर में हुई थी, जो देश की राजधानी रेक्याविक से करीब 45 किलोमीटर दूर है.
बिना सेना वाला देश
आइसलैंड उन दुर्लभ देशों में से हैं जिनके पास कभी कोई स्थायी सेना रही ही नहीं. हां, देश के पास हवाई सुरक्षा प्रणाली और एक तटरक्षक सेना है, लेकिन तटरक्षक की भी सैन्य भूमिका आंशिक ही है. आइसलैंड नाटो का सक्रिय सदस्य है, इसलिए अमेरिका और नाटो के दूसरे सदस्य देश भी उसकी रक्षा में योगदान करते हैं.
एक अनोखा राष्ट्रीय हीरो
आइसलैंड की आजादी के आंदोलन के सबसे बड़े नेता जॉन सीगुरसन को देश का सबसे लोकप्रिय आदर्श माना जाता है. आजादी के आंदोलन से जुड़ने से पहले वो आइसलैंड के इतिहास के अध्ययन को समर्पित एक संस्थान में काम करते थे. उन्हें देश के इतिहास का विशेषज्ञ माना जाता है. उन्हें 'राष्ट्रपति' के नाम से भी संबोधित किया जाता है और देश की कई मुद्राओं और डाक टिकटों पर उनकी तस्वीर है.
दुनिया की सबसे पुरानी जनगणना
वैसे तो जनगणनाएं प्राचीन काल में मिस्र और यूनान जैसी सभ्यताओं में भी होते रही हैं लेकिन सन 1703 में आइसलैंड में हुई जनगणना को आधुनिक इतिहास में दुनिया की पहली पूर्ण जनगणना माना जाता है. इसमें देश के रहने वाले एक एक व्यक्ति को गिना गया था और उसके नाम, उम्र और सामाजिक दर्जे के बारे में जानकारी लिखी गई थी.
दुनिया की पहली महिला राष्ट्रपति
1980 में विदिस फिन्नबोगदोतीर आइसलैंड की चौथी राष्ट्रपति बनने के साथ साथ दुनिया की पहली सीधे तौर पर निर्वाचित महिला राष्ट्रपति भी बन गई थीं. वो 16 सालों तक राष्ट्रपति रहीं और उन्हें आज भी दुनिया में सबसे लंबे कार्यकाल वाली महिला राष्ट्राध्यक्ष के रूप में जाना जाता है.
अद्भुत लोकतंत्र
आइसलैंड में पांच मुख्य राजनीतिक पार्टियां हैं और बार्नसन का दावा है कि देश के इतिहास में कभी भी इनमें से किसी भी पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला.
जलवायु परिवर्तन के लिए अहम
आइसलैंड अपने आप में जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए एक प्रयोगशाला जैसा बन चुका है. देश ने पिछले 20 सालों में 800 से भी ज्यादा वर्ग किलोमीटर ग्लेशियर गंवा दिए हैं.