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आईएसआई पर कस रहा है शिकंजा

९ जुलाई २०११

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अमेरिका के एक बड़े अखबार का कहना है कि आईएसआई से अमेरिका और पाकिस्तान का भला नहीं हो सकता. उसके मुखिया पाशा को हटाना होगा.

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सलीम शहजादतस्वीर: dapd

न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को अपने संपादकीय में लिखा, "अमेरिका को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जल्द से पाशा को हटवाना चाहिए. पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान को यह भी बताने की जरूरत है कि अगर आईएसआई या पाकिस्तान सेना में ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गई है जो आंतकवादियों की मदद कर रहे हैं तो उनके यात्रा करने और अन्य गतिविधियों पर पाबंदी लगनी चाहिए." बेहद प्रभावशाली इस अखबार का कहना है कि आईएसआई पाकिस्तान और अमेरिकी हितों के खिलाफ काम कर रही है. आईएसआई के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा सेना प्रमुख जनरल परवेज अश्फाक कयानी के नजदीकी माने जाते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स का यह संपादकीय अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मुलैन के इस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पाकिस्तान सरकार के कहने पर पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या की गई हो. इसी हफ्ते इस अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक अमेरिकी सरकार के पास इस बात के सबूत हैं कि इस बर्बर हत्या में आईएसआई का हाथ था.

Pakistan Journalist Syed Saleem Shahzad
तस्वीर: ap

अखबार लिखता है, "अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि नई खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि वरिष्ठ आईएसआई अधिकारियों ने शहजाद पर हमले के आदेश दिए ताकि उनकी आवाज को खामोश किया जा सके. जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ माइक मुलैन ने गुरुवार को पुष्टि की कि पाकिस्तान सरकार के कहने पर शहजाद को मारा गया, लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर आईएसआई को इस हत्या से नहीं जोड़ा."

न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इस हत्या के बाद पाकिस्तानी पत्रकार और सरकार के आलोचक राजनीतिक रूप से संवेदनशील खबरों को उजागर करने से हिचकेंगे. संपादकीय में आगे कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आईएसआई अमेरिका के लिए खतरनाक साथी बनती जा रही है. एबटाबाद में 2 मई को अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव है. पाकिस्तान को बिन बताए अमेरिका ने एबटाबाद का अभियान पूरा किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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