आग पर काबू पाने से चेर्नोबिल में टला बड़ा हादसा
१४ अप्रैल २०२०यूक्रेन के चेर्नोबिल में एक सप्ताह से भी ज्यादा से चल रही जंगली आग का प्रकोप अब थमता नजर आ रहा है. अधिकारियों ने मंगलवार 14 अप्रैल को घोषणा की है कि उस इलाके में अब आग जलते रहने का कोई भी बड़ा प्रकरण नहीं है. यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने एक स्टेटमेंट में कहा, "अब कहीं पर भी खुले में आग नहीं जल रही है. जंगल की जमीन थोड़ी सी सुलग रही है." स्टेटमेंट में यह भी बताया गया कि उस इलाके में आग बुझाने के काम में 400 से भी ज्यादा दमकलकर्मी लगे थे. हाल में हुई बारिश ने भी उनकी मदद की.
पर्यावरण विशेषज्ञों को डर था कि आग की वजह से वहां जमीन पर पड़ी रेडियोएक्टिव राख उड़ने ना लगे. अगर ऐसा हो जाता तो वहां से एक किस्म का हानिकारक धुंआ उड़ कर राजधानी कीव पहुंच जाता. 1986 में चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में रिएक्टर दुर्घटना हुई थी और विस्फोट हुआ था, जिसे इतिहास का सबसे बड़ी न्यूक्लियर आपदा माना जाता है. यह स्थान कीव से उत्तर की ओर 100 किलोमीटर दूर है. स्टेट इमरजेंसी सर्विस के स्टेटमेंट के अनुसार सरकारी संस्थाओं ने आश्वासन दिया है कि कीव में रेडिएशन का स्तर सामान्य बैकग्राउंड स्तर से ऊपर नहीं गया."
वरिष्ठ पर्यावरण अधिकारी एगोर फिरसोव ने एक सप्ताह से भी पहले ही कहा था कि चेर्नोबिल इलाके में रेडिएशन का स्तर साधारण बैकग्राउंड लेवल से 16 गुना ज्यादा पाया गया. यह तब की बात है जब आग शुरू ही हुई थी. इलाके मुख्य रूप से खाली ही हैं और वहां फायरमेन 10 दिनों से भी ज्यादा से आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल के दिनों में हवाएं तेज हो गई थीं जिससे उनका काम मुश्किल हो गया था.
सरकार ने विस्तार से नहीं बताया है कि आग की फिलहाल क्या स्थिति है. वीकेंड पर अधिकारियों ने कुछ आंकड़े दिए थे लेकिन वो कुछ दिन पुराने थे. उनमें कहा गया था आग कुल 3,500 हेक्टेयर में फैल गई थी. अधिकारियों का कहना था कि ये आग मौसम में आए सूखेपन की वजह से लगी थी. इस बार सर्दियों में भी पर्याप्त बर्फबारी नहीं हुई थी. पिछले सप्ताह अधिकारियों को कम से कम दो ऐसे व्यक्तियों का पता चला था जिनकी वजह से दो जगह आग लगी थी. एक ने सूखी घास को बस मस्ती करने के लिए जलाया था लेकिन वो आग फिर हवा की वजह से फैल गई और उसके काबू से बाहर हो गई.
दूसरे ने कचरा जलाया था लेकिन उससे सूखी घास में आग लग गई और वो आग भी फैल गई. यहां इस तरह की आग अकसर लग जाती है. बसंत की शुरुआत में सूखी घास को जलाना यूक्रेन, रूस और कुछ और पूर्ववर्ती सोवियत देशों में एक आम चलन है.
सीके/आरपी (डीपीए,एपी)
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