आतंकवाद पर मिले भारत अमेरिकी सुर
२७ सितम्बर २०११न्यूयॉर्क में भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ 40 मिनट तक चली द्विपक्षीय बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की. इस बैठक को बहुत अच्छी और रचनात्मक बताते हुए कृष्णा ने कहा कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद पर बात की और हाल में काबुल में अमेरिकी मिशन और नई दिल्ली में हाई कोर्ट पर हुए हमलों की निंदा की.
कृष्णा ने कहा, "मैंने कहा कि जिन देशों ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में दृढ संकल्प किया हुआ है, उनके लिए जरूरी हैं कि वे चुनिंदा गुटों पर नहीं बल्कि समूचे आतंकवाद के खिलाफ लड़ें. विदेश मंत्री क्लिंटन ने इस पर सहमति जताई."
मिलती भारत अमेरिकी राय
इस बातचीत में पाकिस्तान से काम करने वाले चरमपंथी गुट हक्कानी नेटवर्क पर भी बात हुई. हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर हक्कानी नेटवर्क को समर्थन देने का आरोप लगाया. इस आरोप से साबित होता है कि अब पाकिस्तान को लेकर भारत और अमेरिका की सोच एक जैसी होती जा रही है.
कृष्णा ने कहा, "यह अमेरिका का भारत से या भारत का पाकिस्तान से सहमत होने का सवाल नहीं है." उन्होंने कहा कि देशों को देखना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ "हमारी सोच, प्रतिक्रिया और जवाब किस तरह का है". उन्होंने कहा, "अगर आतकंवाद के मुद्दे पर अमेरिका द्वारा अपनाया गया रुख ठीक वैसा ही है जैसा भारत का, तो इसका यह मतलब नहीं है कि हम उनकी सोच के मुताबिक ढल गए हैं या वे हमारी सोच के मुताबिक ढल गए हैं."
दोनों पक्षों ने असैनिक परमाणु सहयोग संधि और इस दिशा में आगे उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर भी चर्चा की. एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि क्लिंटन ने कृष्णा से अपील की कि भारत की परमाणु जवाबदेही व्यवस्था परमाणु दुर्घटनाओं के लिए सहायक मुआवजे पर हुए समझौते के मुताबिक होनी चाहिए.
इसके अलावा दोनों विदेश मंत्रियों ने फलीस्तीन, सूडान और सीरिया जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी बात की.
धीमी पड़े रिश्ते
जब कृष्णा से सीरिया और फलीस्तीन पर भारत और अमेरिका के परस्पर विरोधी रुखों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में कहा है, "हम यह आदेश नहीं दे सकते कि राष्ट्र कैसे अपने अंदरूनी मामलों के संभालें."
कई जानकार मानते हैं कि भारत और अमेरिका के रिश्तों की रफ्तार कुछ धीमी पड़ गई है. कई रक्षा ठेके अमेरिकी कंपनियों को न दिए गए हैं. इस बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि यह कोई ऐसी बात नहीं है जिससे अमेरिका नाराज हो जाएगा. उन्होंने कहा कि रक्षा ठेके योग्यता के आधार पर दिए जाते हैं और इस तरह का फैसला विशेषज्ञों का एक समूह लेता है.
कृष्णा से कहा कि वह अपनी बातचीत से खासे संतुष्ट हैं. क्लिंटन ने भारत को नए सिल्क रोड की पहल में सक्रिय योगदान के लिए बधाई दी. इससे दक्षिण और मध्य एशिया में व्यापार और पारगमन मजबूत होगा. नए सिल्क रोड पर नवंबर में इस्तांबुल में बैठक होगी.
खर से मुलाकात
कृष्णा ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर से अपनी मुलाकात पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए इस तरह के संपर्क बेहद जरूरी हैं. यह मुलाकात संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी मिशन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई. बाद में खर कृष्णा को जाते समय उनकी गाड़ी तक छोड़ने भी गईं.
कृष्णा ने कहा कि पाकिस्तानी शिष्टमंडल उनकी मौजूदगी से बेहद खुश था. कृष्णा भी अनौपचारिक तौर पर सबसे मिल कर खुश दिखे. कृष्णा ने भारतीय प्रधानमंत्री के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि कोई देश अपना पड़ोसी चुन नहीं सकता, इसीलिए पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, "यह सच्चाई है कि पाकिस्तान बिल्कुल हमारे पड़ोस में है जिससे हम जुड़े हुए हैं. हमारी साझा संस्कृति, इतिहास और पृष्ठभूमि है. इसीलिए संबंधों को सामान्य बनाना जरूरी है."
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार
संपादन: महेश झा