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"आरक्षण" पर बवाल कितना सही?

१२ अगस्त २०११

प्रकाश झा की बहुचर्चित फिल्म आरक्षण की जितनी फिल्म समीक्षक चर्चा नहीं कर रहे हैं उससे ज्यादा नेता और पार्टियां इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्रप्रदेश में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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तस्वीर: UNI

अमिताभ बच्चन ने इस रोक पर अपने ब्लॉग में गहरा दुख जताया है. उन्होंने लिखा है कि वह उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश की सरकार से दुखी हैं क्योंकि अपुष्ट अटकलों और विश्वास की उन्होंने कोई पुष्टि नहीं की. इस फिल्म पर विरोध के कारण मुंबई में भी कड़ी सुरक्षा है. अमिताभ बच्चन कहते हैं, "मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि फिल्म सफल होती है या नहीं लेकिन इतना सच है कि इसने देश को उसकी एक मुश्किल का आइना दिखाया है."

अल्पसंख्यकों के विरोध के बीच भारत में प्रकाश झा की नई फिल्म आरक्षण सरकारी नौकरियों और पढ़ाई में कोटा सिस्टम पर आधारित है. भारत के अनुसूचित जाति और जनजाति कमीशन के अध्यक्ष ने भी कहा है कि प्रकाश झा की फिल्म "दलित विरोधी और आरक्षण विरोधी" है. झा के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने के आरोप में मुंबई पुलिस ने एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. यही नहीं फिल्म के प्रचार सामग्री को नुकसान पहुंचाया गया. फिल्म के विरोध के बाद पुलिस ने "आरक्षण" के मुख्य कलाकारों की सुरक्षा बढ़ा दी है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए फिल्म के प्रमोशन पर रोक लगा दी है. पंजाब और राजस्थान में भी झा की फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. फिल्म के खिलाफ कोर्ट में एक केस भी हुआ जिसमें कुछ डायलॉग को हटाने की मांग की गई. झा ने पहले भी भ्रष्टाचार और पावर पॉलिटिक्स जैसे सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाई हैं.

Amitabh Bachchan
मुख्य भूमिका में बिग बीतस्वीर: UNI

विरोध कितना सही?

फिल्म के निर्माता झा राजनीतिक दलों के आरोप को नकारते हैं. पिछले हफ्ते पत्रकारों को झा ने कहा था, "फिल्म 'आरक्षण' दलितों के खिलाफ नहीं है और ना ही आरक्षण के खिलाफ है. भारत में ऐसी जनता है जिन्हें इस पॉलिसी से लाभ मिलता है. और ऐसे लोग भी हैं जो इसी नीति की वजह से अवसर गंवाते हैं. यह एक तरह का भारत बनाम भारत जैसा है. इस मुद्दे को अपनी फिल्म में दिखाकर मैं उस दरार को भरना चाहता हूं." आरक्षण का मतलब उस नीति से है जिसमें समाज में कमजोर तबके को आधिकारिक तौर पर सरकारी नौकरी में हिस्सा देना है. सरकार "अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों" को जगह-जगह आरक्षण देती है. सकारात्मक कार्रवाई के जरिए गरीबों और हाशिए पर आए लोगों को बराबरी का मौका दिया जाता है. भारत में करीब 16 करोड़ दलित हैं. भेदभाव विरोधी कानून के बावजूद वे पूर्वाग्रहों का शिकार होते हैं जबकि जातिवादी मानकों का पालन ना करने पर उन्हें कठोर सजा दी जाती है.

Saif Ali Khan
फिल्म में सैफ अली खान भीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

वोट के लिए हल्ला

कोटा सिस्टम भी खुद ही लगातार बढ़ती चुनौतियों का विषय है. कुछ समाजशास्त्री सुझाव देते हैं कि पारंपरिक जाति विचार आर्थिक विकास, धन और सामाजिक गतिशीलता में सुधार के चलते घट जाते हैं. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कमल मित्र चिनॉय कहते हैं कि यह चलन तेज रफ्तार शहरों में आमतौर पर देखने को मिलता है. लेकिन बदलाव की गति धीमी है. उनके मुताबिक शादी से लेकर आवास तक में भेदभाव होता है. उनके मुताबिक यह अभी भी एक मुद्दा है. इससे पहले भी भारत में कई फिल्मों का विरोध जाति, धर्म, और लिंगविवाद को लेकर हुआ है.

बिग बी प्रिंसिपल की भूमिका में

समलैंगिकता पर आधारित दीपा मेहता की फिल्म "फायर" का भी खूब विरोध हुआ था. विधवाओं पर बनी फिल्म वॉटर के रिलीज होने के पहले भी विरोध प्रदर्शन हुआ. प्रकाश झा कहते हैं कि कुछ पार्टियां सिर्फ वोट बंटोरने के लिए फिल्म को विवाद में ढकेल रही है. झा के मुताबिक, "मैं सिर्फ यह दिखाना चाहता हूं कि कैसे आरक्षण ने दो भारत बना डाले हैं."

आरक्षण फिल्म में अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में हैं. जबकि फिल्म में उनकी बेटी का रोल दीपिका पादुकोण ने निभाया हैं. सैफ अली खान के अलावा मनोज वाजपेयी और प्रतीक बब्बर भी फिल्म में हैं. आरक्षण की कहानी का ताना-बाना आरक्षण की पृष्ठभूमि में शिक्षा जगत के इर्द-गिर्द बुना गया है. सैफ अली एक दलित लड़के की भूमिका निभा रहे हैं.

रिपोर्ट:एएफपी/ आमिर अंसारी

संपादन: महेश झा

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