आलोचनाओं का शिकार स्टार फुटबॉलर पोडोलस्की
२ अक्टूबर २०११जर्मनी यूरो 2012 में पहले ही अपनी जगह पक्की कर चुका है लेकिन उसे अभी दो क्वॉलिफायर और खेलने हैं. शुक्रवार को उसका मुकाबला तुर्की से होगा. इसमें पोडोलस्की की अहम जगह है लेकिन शनिवार को बुंडसलीगा के मैच में उनका खेल देखकर उनके चाहने वाले बेहद निराश हुए.
पोडोलस्की की बुंडसलीगा टीम कोलोन हेर्था बर्लिन से 0-3 से हार गई.
खतरे में जगह
पोडोलस्की के लिए खराब फॉर्म चिंता की बात है क्योंकि उनकी जगह पर अब कई दावेदारियां हैं. लेवरकुजेन के आंद्रे शुएर्ले ऐसे ही दावेदार हैं. और कोच योआखिम लोएव अपना रिकॉर्ड खराब करने का खतरा नहीं उठाना चाहेंगे. जर्मनी ने क्वॉलिफायर में नौ लगातार जीत दर्ज की हैं.
वैसे पिछले दो मैचों में पोडोलस्की ने तीन गोल किए जिनकी बदौलत उनकी टीम ने लेवरकुजेन को 4-1 से और होफेनहाइम को 2-0 से हराया. लेकिन शनिवार को बर्लिन के ओलिम्पिक स्टेडियम में हुए मैच में वह सलीके से दिखे भी नहीं. जर्मनी के पूर्व गोलकीपर टोनी शूमाखर ने टीवी शो लीगा टोटाल में कहा, "लुकास अच्छे खिलाड़ी हैं. लेकिन वह लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. अगर एक बार विरोधी टीम ने 2-0 की लीड ले ली, फिर लुकास की परवाह करने की जरूरत नहीं."
भावनाओं में बह जाना
पोडोलस्की इसी पखवाड़े में एक बार पहले भी आलोचनाओं का शिकार हो चुके हैं. तब कोलोन टीम के खेल निदेशक फोल्कर फिंके ने स्पोर्ट बिल्ड पत्रिका से कहा था कि पोडोलस्की बेहतर कर सकते थे. फिंके ने कहा, "वह 26 साल के हैं और उनके अंतरराष्ट्रीय मैच 100 के करीब हैं. इससे पता चलता है कि वह किस लेवल के खिलाड़ी हैं. वह एक बेहतरीन फुटबॉलर बन सकते हैं. लेकिन वह हर बार अपने खेल को भरोसेमंद परफॉर्मेंस में तब्दील नहीं कर पाते."
फिंके को लगता है कि पोडोलस्की मैच के बारे में अपनी भावनाओं से या मनौवैज्ञानिक कारणों से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसा हमने तब भी देखा जब वह बायर्न के साथ थे." 2009 में कोलोन में वापसी से पहले पोडोलस्की तीन साल बायर्न के साथ रहे लेकिन यह एक नाखुश दौर था.
पोडोलस्की ने 2004 में जर्मनी के लिए अपना पहला मैच खेला. तब वह 19 साल के थे. अब तक वह 92 मैच खेल चुके हैं जिनमें उन्होंने 43 गोल किए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन