इंकार ने बनाया गांव की चहेती
३ जुलाई २०१२21वीं सदी के चमचमाते भारत में आज भी सफाई की मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. 2011 के आंकड़ों के अनुसार 13 करोड़ घरों में शौचालय नहीं है. इनमें से अस्सी लाख लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं और अन्य 12 करोड़ से अधिक लोग खेतों या खुले मैदानों का इस्तेमाल करते हैं.
उत्तर प्रदेश के एक गांव में एक नव विवाहित महिला ने खेतों में जाने से इनकार कर दिया. विष्णुपुर खुर्द की इस महिला ने शादी के बाद ससुराल पहुंच कर देखा कि घर में शौचालय नहीं है तो ससुराल में रहने से ही इनकार कर दिया और अपने मायके लौट गई.
जल्द ही घर की कहानी पूरे गांव में फैल गई. प्रियंका भारती को परिवार वालों ने समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनकी भी जिद थी कि जिस घर में ऐसी मूलभूत सुविधा ही ना हो, वैसे घर में वह नहीं रहेंगी. समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "पता नहीं मुझमें इतनी हिम्मत कहां से आई. पर मैं एक ऐसे परिवार से नाता रखती हूं जहां कई मजबूत महिलाएं हैं. जब मैं अपने पति के घर आई तो मेरे साथ ना ही मेरे रिश्तेदार थे और ना ही दोस्त और मुझे एक नई जिंदगी के लिए खुद को ढ़ालना था."
प्रियंका की खबर सामाजिक संस्था सुलभ तक पहुंची. सुलभ ने पिछले कई सालों में भारत में लाखों शौचालय बनवाए हैं. संस्था ने प्रियंका को दो लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की. उन्हें इनाम देने के लिए एक समारोह भी किया गया जिसमें पूरे गांव को आमंत्रित किया गया. सुलभ ने गांव में एक शौचालय भी बनवाया है. इसके बाद प्रियंका गांव की लाडली बन गई हैं. लेकिन सुलभ की इस पहल से वह बहुत हैरान हैं, "जब हमने पैसे की बात सुनी तो हम उस पर यकीन ही नहीं कर पाए, हम तो हैरान रह गए."
प्रियंका की शादी चौदह साल की उम्र में ही कर दी गई थी. अब उन्नीस साल में उनका गौना हुआ तो वह चार दिन में ही पति का घर छोड़ कर वापस चली आईं.
शुरू में लोगों और परिवार के ताने सुनने वाली प्रियंका अब पूरे गांव के लिए एक आदर्श बन गई हैं, "मेरे माता पिता बहुत चिंतित थे और मुझसे नाराज भी, लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि मैं वही कर रही हूं जो मुझे करना चाहिए. उनके घर में शौचालय था, इसलिए मेरे लिए बाहर जाना बेहद तकलीफदेह था."
शौचालय बनाने को ले कर भारत सरकार ने भी कई योजनाएं बनाई हैं. टीवी पर इस तरह के विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं जहां लड़की को इसी कारण रिश्ता ठुकराते दिखाया जाता है कि घर में शौचालय नहीं है. प्रियंका ने इन विज्ञापनों को सच कर दिखाया और अन्य लड़कियों के लिए यह उम्मीद जगा दी कि वे भी इस हक के लिए लड़ सकती हैं.
आईबी/एमजे (एएफपी)